Mithilesh Yadav
8 Oct 2025
Manisha Dhanwani
31 Aug 2025
पीपुल्स संवाददाता भोपाल । एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने जन्मजात दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे युवक का दुर्लभ आॅपरेशन कर जान बचाई। बीमारी के कारण कई नसों में ब्लड फ्लो रुक गया था। डॉक्टरों ने बीमारी से पूरी तरह खराब हो चुके अंग को ना केवल हटाया बल्कि कृत्रिम बायपास तैयार कर ब्लड फ्लो को सामान्य कर दिया।
जानकारी के मुताबिक मरीज बचपन से पेट दर्द, ब्लीडिंग और अत्यधिक थकान से जूझ रहा था। युवक जब एम्स पहुंवा तो जांच में पता चला कि मरीज एक गंभीर और दुर्लभ बीमारी एक्स्ट्रा हेपेटिक पोर्टल वेन आॅब्स्ट्रक्शन से पीड़ित था। डॉक्टरों ने बताया कि जांच के बाद डॉक्टरों ने दुर्लभ स्प्लेनोरेक्टॉमी और प्रॉक्सिमल स्प्लेनोरेनल शंट तकनीक से इलाज करने की योजना तैयार की।
एम्स की सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी टीम ने उसकी सूजी हुई तिल्ली निकालकर स्प्लेनिक और किडनी नसों को जोड़कर एक जीवनरक्षक बायपास तैयार किया। जिससे ब्लड सकुर्लेशन सामान्य हो जाता है। यह तकनीक एम्स के द्वारा खोजी गई है। सर्जरी के बाद मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। इस प्रक्रिया में मरीज की बड़ी हुई तिल्ली (स्पीलीन) को हटाया गया और स्प्लेनिक वेन को बाईं रीनल वेन से जोड़ा गया। डॉक्टरों के अनुसार, यह तकनीक हार्ट या लिवर की अन्य जटिल बीमारियों में भी भविष्य में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। सर्जरी में डॉ. श्रीराम, डॉ. शरथ और डॉ. पवनीत शामिल रहे, जबकि एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. अनुज जैन ने किया।
डॉक्टरों ने बताया कि कई लोग पेट दर्द, थकान या ब्लीडिंग जैसे लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे लक्षण कई बार गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकते हैं। इसलिए नियमित जांच और समय पर इलाज जरूरी है। डॉ. माथुर का कहना है कि अक्सर मरीज लक्षण खत्म होने के बाद फॉलोअप पर नहीं आते। जबकि लगातार मॉनिटरिंग ही यह सुनिश्चित करती है कि बायपास लंबे समय तक काम करता रहे। उन्होंने यह भी कहा कि इस तकनीक से भविष्य में देशभर के मरीजों को राहत मिल सकेगी।