People's Reporter
16 Oct 2025
अशोक गौतम
भोपाल। मऊगंज के पुष्पेंद्र मिश्रा कहते हैं कि जब भी घर में कोई सदस्य गंभीर रूप से बीमार होता है तो सीधे बीएचयू अस्पताल वाराणसी इलाज कराने ले जाते हैं। क्योंकि यह बड़ा अस्पताल हमारे जिले से पास में है और इलाज भी सस्ता है। जबकि कहने के लिए रीवा मेडिकल कॉलेज है, लेकिन डॉक्टरों की कमी से समय पर इलाज नहीं मिल पाता। अकेले पुष्पेंद्र ही वाराणसी नहीं जाते हैं बल्कि जबलपुर जिले के लोग नागपुर, पन्ना, छतरपुर और टीकमगढ़ के झांसी, मुरैना, ग्वालियर और राजगढ़ के राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में इलाज कराने जाते हैं। गंभीर बीमार जैसे कैंसर आदि के मरीज टाटा मेमोरियल मुंबई जाते हैं। अकेले आयुष्मान योजना में चार साल में 1.31 लाख मरीज प्रदेश से बाहर इलाज कराने गए जिनके नाम पर राज्य शासन ने 417 करोड़ रुपए का भुगतान किया। एक जानकारी के अनुसार सभी प्रकार का इलाज कराने के लिए हर साल 40 हजार से अधिक मरीज दूसरे राज्यों में इलाज करा रहे हैं।
वर्ष राशि (करोड़ में)
2020 48.77
2021 59.63
2022 55.72
2023 144.77
2024 108.88
-प्रदेश के सीमावर्ती जिलों के लोगों को जिला मुख्यालय के अस्पताल दूर होते हैं।
-दूसरे राज्यों के अस्पताल नजदीक होते हैं।
-प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी
-अस्पतालों में कर्मचारियों और डॉक्टरों का व्यवहार ठीक नहीं होना
-मप्र के कुछ प्राइवेट अस्पतालों में महंगा इलाज है।
-आयुष्मान योजना में: वर्ष 2020 से 2024 के बीच 1.31 लाख मरीज प्रदेश के बाहर गए।
-भुगतान हुआ: विभिन्न अस्पतालों में 417 करोड़ रुपए
-खास बात: 80 फीसदी अस्पताल व नर्सिंग होम, 20 फीसदी एम्स सहित अन्य केन्द्रीय अस्पताल हैं।
-कोरोना काल: वर्ष 2020 से 2022 के बीच प्रति वर्ष 20 हजार मरीजों ने दूसरे राज्यों में इलाज कराया।
-हमारे प्रदेश में बढ़ रहीं स्वास्थ्य सुविधाएं
-वर्तमान में 31 मेडिकल कॉलेज हैं और हर जिले में सरकारी जिला चिकित्सालय हैं।
-भोपाल में एम्स भी है, जहां हर दिन औसतन तीन हजार की ओपीडी है।
-एयर एंबुलेंस भी प्रारंभ कर दी गई है।
-स्वास्थ्य के नाम पर हर साल अपने बजट में 15 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हो रही।
-वर्ष 20-21 में जहां बजट प्रावधान करीब सात हजार करोड़ रुपए था, यह बढ़कर वर्ष 2025-26 में 23 हजार करोड़ से अधिक हुआ।
सरकार को आयुष्मान इलाज के लिए अन्य राज्यों की तरह नीति बनाना पड़ेगा। सभी राज्यों में इलाज सुविधाएं एक जैसी हैं। मप्र में अगर देखा जाए तो भोपाल, इंदौर और जबलपुर में ही सुपर स्पेशलिटी अस्पताल हैं। शेष जिलों में ऐसी सुविधाएं नहीं हैं। सीमावर्ती जिलों से जिला मुख्यालय काफी दूर हैं। इसके चलते मरीज दूसरे राज्यों में इलाज के लिए जाते हैं।
डॉ. सुबोध वार्ष्णेय, संचालक, सिद्धांता रेडक्रॉस अस्पताल भोपाल
आयुष्मान सेंट्रल स्कीम है। जहां जिस मरीज को जैसी सुविधा मिलेगी वहां इलाज के लिए जा सकता है। बॉर्डर के जिलों के मरीज दूसरे राज्यों में ज्यादा इलाज कराने जाते हैं।
संदीप यादव, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग