vikrant gupta
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Mithilesh Yadav
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भोपाल। 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस में इंदौर से कटनी के बीच लापता हुई 29 वर्षीय अर्चना तिवारी को भोपाल जीआरपी ने 12 दिन बाद नेपाल बॉर्डर से सकुशल बरामद कर लिया है। बुधवार सुबह अर्चना को फ्लाइट से लाकर भोपाल पहुंचाया गया। गुमशुदगी को लेकर बनी रहस्य की परतें अब पुलिस जांच में खुल चुकी हैं। इस पूरे मामले की मास्टरमाइंड स्वयं अर्चना तिवारी ही थी, जिसने पारिवारिक दबाव से बचने और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने के लिए यह कदम उठाया।
रेल एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने जानकारी दी कि अर्चना तिवारी एक एडवोकेट हैं और सिविल जज की तैयारी कर रही हैं। उनके मुताबिक, अर्चना पर परिवार की ओर से एक पटवारी से शादी के लिए दबाव डाला जा रहा था। इसी महीने 7 अगस्त को उसकी सगाई तय थी, लेकिन वह इस रिश्ते से सहमत नहीं थी।
अपनी मर्जी से करियर और जीवन तय करने के लिए अर्चना ने गायब होने का नाटक रचा, ताकि वह परिवार के फैसले से आजाद रह सके।
अर्चना ने ट्रेन में सफर के दौरान इटारसी निवासी दोस्त तेजेंदर सिंह से मदद मांगी और नर्मदापुरम स्टेशन पर उतर गई। वहां से तेजेंदर ने उसे इटारसी पहुंचाया, जहां से आगे शुजालपुर निवासी सारांश जैन उसे लेने पहुंचा। सारांश ने अर्चना को शुजालपुर ले जाकर कुछ घंटे रुकवाया और अगले दिन इंदौर छोड़ दिया। वहीं से अर्चना हैदराबाद होते हुए नेपाल चली गई।
जांच में सामने आया है कि अर्चना ने जानबूझकर ट्रेन में अपना दुपट्टा और सामान छोड़ दिया था, ताकि लगे कि वह ट्रेन से गिर गई है। इतना ही नहीं, उसने मिडघाट के पास मोबाइल फोन और सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिए, जिससे पुलिस की लोकेशन ट्रेसिंग मुश्किल हो जाए।
रेलवे पुलिस ने लगभग 2000 सीसीटीवी फुटेज खंगाले, मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) के आधार पर तेजेंदर और सारांश को ट्रेस किया और फिर नेपाल एम्बेसी की मदद से युवती को लखीमपुर खीरी बॉर्डर से बरामद किया।
पुलिस को दिए गए बयान में अर्चना ने साफ किया कि न तो उसका अपहरण हुआ और न ही लापता रहने के दौरान उसके साथ कोई अनहोनी या अपराध हुआ। उसने यह भी कहा कि सारांश उसका सिर्फ दोस्त है, दोनों के बीच कोई प्रेम संबंध नहीं है।
मामले की शुरुआत में ग्वालियर के आरक्षक राम तोमर का नाम सामने आया था, जो अर्चना के संपर्क में था और जिसने अर्चना के लिए ट्रेन टिकट बुक किया था। हालांकि, पुलिस जांच में यह बात स्पष्ट हो गई कि राम तोमर का इस पूरी साजिश से कोई सीधा संबंध नहीं है।
जीआरपी ने 18 अगस्त की रात शुजालपुर निवासी सारांश जैन को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। सारांश इंदौर में रहकर एक एग्रीकल्चर ड्रोन कंपनी में काम करता है। उसके पिता ने कहा कि उन्हें अर्चना के बारे में कभी कुछ नहीं बताया गया था। उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे को इस विवाद में अनजाने में घसीटा गया है और वह निर्दोष है। बुधवार को अर्चना को भोपाल लाकर पुलिस ने परिजनों को सौंप दिया।
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