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पल्लवी वाघेला ’ भोपाल । हाल ही में अभिनेता अक्षय कुमार ने आॅनलाइन गेम के दौरान अपनी बेटी से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया था, जिसमें वह अनजाने प्लेयर के गलत इरादों का शिकार होने से बची। इसी तरह का वाकया राजधानी में भी होने जा रहा था। दरअसल, भोपाल के 4 दोस्तों के ग्रुप ने उभरते सितारे अहान पांडे व मप्र के चर्चित अभिनेता कार्तिक आर्यन से मिलने की आस में घर छोड़ दिया। इन एक्टर से मिलाने का वादा उन्हें आॅनलाइन गेम प्लेयर ने दिया था। हालांकि, बच्चों को स्टेशन पर ही रेस्क्यू कर लिया गया।
उच्च मध्यमवर्गीय परिवार के 4 दोस्तों की उम्र 10 से 13 साल के बीच की है। ये ग्रुप में आॅनलाइन गेम फ्री फायर मैक्स और बीजीएमआई आदि खेलते हैं। इसी दौरान उनकी गेम खेलने वाले अन्य प्लेयर से भी आॅनलाइन दोस्ती है। इन्हीं में से एक गेम प्लेयर ने बताया कि वह 20 साल का है और उसके परिवार के लोग फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं। चारों दोस्तों की दिलचस्पी जग गई। प्लेयर ने कहा कि वह अहान पांडे और कार्तिक आर्यन को बहुत अच्छे से जानता है। चारों दोस्त इन दोनों के फैन थे तो बच्चों ने रिक्वेस्ट कर कहा कि क्या कभी उनसे बात करा सकते हो। इस पर आॅनलाइन प्लेयर ने जवाब दिया कि बात करके क्या करोगे? मुंबई आ जाओ आमने-सामने मिलवा दूंगा। गेम प्लेयर दोस्त के वादे से प्रभावित दोस्तों ने घर छोड़ने का मन बना लिया। चारों ने छुट्टियों का प्लान किया। चारों ने ट्यूशन के बैग में कपड़े डाले। घर से रुपए भी लिए। इनमें से एक बच्चे ने अपना मोबाइल भी साथ लिया था। वहीं एक बच्चे ने मां का एटीएम कार्ड चुपचाप उठाया। चारों ट्यूशन जाने की जगह भोपाल स्टेशन पहुंच गए। हालांकि, जब यह आसपास ट्रेन के बारे में पूछताछ कर रहे थे तो एक वेंडर को शक हुआ और उसने रेलवे पुलिस को इसकी जानकारी दी। इसके बाद बच्चों को ट्रेन में बैठने के पहले ही रेस्क्यू कर लिया गया।
इनमें से एक बच्चे ने घर पर स्टिकी नोट पर मैसेज छोड़ा था कि वो लोग घूमने जा रहे हैं और जल्द आ जाएंगे। हालांकि, नोट ऐसी जगह लगाया था जहां जल्द परिवार की नजर न जाए। पुलिस द्वारा सूचना मिलते ही परिवार बच्चों को लेने पहुंचा।
अभिभावकों के लिए यह जरूरी है कि उन्हें पता हो कि बच्चे किन लोगों के संपर्क में है और उनकी आॅनलाइन एक्टिविटी क्या है। बच्चों का स्क्रीन टाइम भी सुनिश्चित करें। साथ ही बच्चों से खुलकर संवाद करें ताकि वह अनजान लोगों के जाल में फंसने से बच सके।
डॉ. दीप्ति सिंघल, काउंसलर भोपाल