Shivani Gupta
6 Nov 2025
Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
Priyanshi Soni
6 Nov 2025
Naresh Bhagoria
6 Nov 2025
संतोष चौधरी, भोपाल। राजधानी से सटे भोजपुर-गैरतगंज सड़क के चौड़ीकरण प्रोजेक्ट से परमारकालीन डैम पर भी संकट मंडरा रहा है। यह संरक्षित धरोहर (प्रोटेक्टेड मॉन्युमेंट) है। डैम के पास से गुजर रही टू लेन रोड को फोर लेन में तब्दील किया जा रहा है। इसके लिए 448 पेड़ काटे गए हैं। पेड़ों की शिफ्टिंग और सड़क चौड़ीकरण की अनुमति राज्य पुरातत्व विभाग से नहीं ली गई। स्टेट आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट की टीम ने मौके का निरीक्षण किया। इधर, हाईकोर्ट जबलपुर ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए एएसआई को भी पार्टी बनाते हुए जवाब मांगा है।
लोक निर्माण विभाग द्वारा इस सड़क का निर्माण किया जा रहा है। रायसेन कलेक्टर ने अगस्त में सड़क चौड़ीकरण में आड़े आने वाले 448 पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की अनुमति दी थी। वहीं, सड़क चौड़ीकरण से लगभग 1000 ईसवी का परमारकालीन डैम भी प्रभावित हो रहा है। मामले में भोपाल के पर्यावरण मित्र नितिन सक्सेना ने पक्षकार बनने के लिए याचिका दायर की थी। उनका आरोप है कि आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट से अनुमति नहीं ली गई। पुरातत्व एवं अभिलेखागार मप्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर अनुमति नहीं लेने की पुष्टि की है।
याचिकाकर्ता सक्सेना ने बताया कि यहां पर पुरातत्व एवं अभिलेखागार के दो बोर्ड भी लगाए गए थे, जिनमें से एक (शिलालेख) को सड़क चौड़ीकरण के दौरान उखाड़ दिया गया। बोर्ड में स्पष्ट लिखा है कि इस क्षेत्र में 100 मीटर दायरे में कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता है और 200 मीटर दायरे में काम करने के लिए अनुमति लेनी होगी।
एमपीआरडीसी द्वारा इटायाकला से फंदा कलां तक साउथ वेस्टर्न फोरलेन मार्ग प्रस्तावित किया गया था। इसके दायरे में प्राचीन मंदिर और दो बावड़ियां आ रही थीं लेकिन निर्माण एजेंसी ने इसके लिए स्टेट आर्कियोलॉजी से अनुमति नहीं ली थी। पीपुल्स समाचार द्वारा यह मुद्दा उठाने के बाद विभाग ने इस बायपास की डिजाइन बदलने के निर्देश दिए थे। हालांकि बाद में इस बायपास में संशोधन किया गया है।
इस बारे में पर्यावरण मित्र कमल राठी का कहना है कि परमार काल के पुरातत्व महत्व वाले कीरतनगर डैम के पास की सड़क पर हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। यह परमार कालीन धरोहर संरक्षित है। यहां पेड़ काटने और निर्माण कार्य की अनुमति नहीं ली गई। बड़ी-बड़ी पोकलेन और जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं। कोर्ट के स्टे के बाद भी यहां काम जारी है। इससे डैम की नींव भी प्रभावित हो सकती है। हमने इस मामले में स्टेट ऑर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट से शिकायत की है।