Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
Aniruddh Singh
13 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत सरकार अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच अपने लिए दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (रेयर अर्थ मिनरल्स) की सुरक्षित उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत सरकार एक विशेष कार्यक्रम नेशनल क्रिटिकल मिनरल स्टॉकपाइल (एनसीएमएस) शुरू करने की तैयारी में है। यह योजना उन तत्वों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भंडार तैयार करने पर केंद्रित होगी, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों और उभरती हरित (ग्रीन) प्रौद्योगिकियों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। यह कदम चीन द्वारा हाल ही में दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट्स के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद उठाया गया है। चीन इन खनिजों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है।
चीन के प्रतिबंधों से वैश्विक सप्लाई चेन में व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिससे भारत जैसे तेजी से औद्योगिक होते देश पर असर पड़ सकता है। इसलिए भारत अब अपने लिए दो महीने का रणनीतिक भंडार तैयार करने की योजना बना रहा है ताकि अचानक आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में घरेलू उद्योग प्रभावित न हों। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, शुरुआती चरण में ध्यान केवल दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर रहेगा, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम का दायरा अन्य महत्वपूर्ण खनिजों तक बढ़ाया जाएगा। सरकार चाहती है कि इस परियोजना में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी भी हो, जिससे भंडारण और प्रबंधन की दक्षता बढ़ाई जा सके। दुर्लभ पृथ्वी तत्व कुल 17 प्रकार के तत्वों का समूह हैं, जिनकी रासायनिक विशेषताएं लगभग समान होती हैं।
ये तत्व उच्च तकनीकी उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, सैटेलाइट, मिसाइल सिस्टम, इलेक्ट्रिक मोटर, और ग्रीन एनर्जी उपकरणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से रेयर अर्थ मैग्नेट्स विशेष रूप से शक्तिशाली चुंबकीय गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा प्रणालियों के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। यह नया स्टॉकपाइल कार्यक्रम सरकार की राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) का पूरक होगा। इस मिशन के तहत पहले ही ₹500 करोड़ आवंटित किए जा चुके हैं, ताकि आवश्यक खनिजों की आपूर्ति बाधित न हो और घरेलू उद्योगों को निरंतर कच्चा माल मिलता रहे। इसी के साथ, भारत सरकार ने ₹7,300 करोड़ के प्रोत्साहन पैकेज को भी मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य अगले 5 वर्षों में देश में 6,000 टन दुर्लभ पृथ्वी मैग्नेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
यह योजना आत्मनिर्भर भारत के तहत घरेलू विनिर्माण को सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह रणनीति समयोचित है, क्योंकि वर्तमान में देश अपनी लगभग पूरी दुर्लभ अर्थ मिनरल खपत के लिए आयात पर निर्भर है। हालांकि भारत के पास इन तत्वों के कुछ भंडार हैं, लेकिन उन्हें निकालने और शुद्ध करने की तकनीकी क्षमता सीमित है। इस चुनौती को देखते हुए स्टॉकपाइल कार्यक्रम भविष्य की सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिति और तनावपूर्ण होती जा रही है। चीन के निर्यात प्रतिबंधों के जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन से आने वाले उत्पादों पर 100% अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी दी है। ऐसे माहौल में भारत की यह नीति न केवल आर्थिक सुरक्षा का उपाय है, बल्कि यह वैश्विक सप्लाई चेन में रणनीतिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम है।