Manisha Dhanwani
21 Oct 2025
दिवाली के ठीक बाद भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भाई दूज पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देता है, बल्कि उनके बीच आपसी विश्वास और स्नेह को भी गहरा करता है। हर साल भाई दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। भाई, इस प्रेम और स्नेह के प्रतीक के रूप में बहनों को उपहार देकर अपना प्रेम जताते हैं। तो आइए जानते हैं, इस साल भाई दूज कब मनाया जाएगा, पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त।
इस साल भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025, गुरुवार को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर को रात 08:16 बजे होगी और इसका समापन 23 अक्टूबर को रात 10:46 बजे होगा। वहीं, तिलक करने का शुभ समय: दोपहर 01:13 बजे से 03:28 बजे तक होगा। यानी बहनों को तिलक करने के लिए 2 घंटे 15 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा।
भाई दूज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान के बाद भगवान गणेश और यमराज की विधिवत पूजा करें। इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। उसके सिर पर साफ रुमाल रखें और रोली व अक्षत से तिलक करें। फिर भाई के हाथ में कलावा (मौली) बांधें, उसे मिठाई खिलाएं और घी का दीपक जलाकर आरती करें।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव की पुत्री यमुना को अपने भाई यमराज से अत्यधिक स्नेह था। वह उन्हें बार-बार अपने घर भोजन पर आमंत्रित करती थीं, लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त होने के कारण उनके आग्रह को पूरा नहीं कर पाते थे। एक दिन यमराज ने अपनी बहन का आमंत्रण स्वीकार किया और उसके घर पहुंचे। यमुना ने भाई का प्रेमपूर्वक स्वागत किया, उन्हें तिलक लगाया और स्वादिष्ट भोजन परोसा। यमराज अपनी बहन के प्रेम और सेवा से बहुत प्रसन्न हुए और उसे वरदान देने को कहा। तब यमुना ने प्रार्थना की कि इस दिन जो भी बहन अपने भाई को तिलक करे, उसका भाई दीर्घायु हो और उसे अकाल मृत्यु का भय न रहे। यमराज ने यह वरदान स्वीकार कर लिया। तभी से भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा के प्रतीक रूप में मनाया जाने लगा।