Manisha Dhanwani
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Peoples Reporter
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धर्म डेस्क। दिवाली के दिन जब लाखों दीये एक साथ जलते हैं, तो पूरा भारत मानो रोशनी का सागर बन जाता है। घरों, गलियों और मंदिरों में जगमगाहट होती है, पर क्या आपने कभी सोचा है- हम दीये क्यों जलाते हैं?
ये सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा प्रतीक है। अच्छाई की जीत, उम्मीद का प्रकाश और जीवन के अंधकार को मिटाने की भावना।
दिवाली का संबंध रामायण से जुड़ा है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में नगरवासियों ने दीप जलाए थे, जिससे पूरी अयोध्या प्रकाशमय हो उठी।
समय के साथ यह परंपरा भारत के हर कोने में अलग-अलग रूपों में मनाई जाने लगी। कहीं लक्ष्मी पूजन होता है, कहीं काली पूजा, तो कहीं गोवर्धन पूजा- लेकिन हर रूप में दीपक इस त्योहार की आत्मा बन गया।
दीया जलाना सिर्फ घर को रौशन करना नहीं, बल्कि अंतरात्मा को जागृत करना है।