Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
Naresh Bhagoria
22 Dec 2025
धर्म डेस्क। दीपावली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र और पारंपरिक पर्व है। इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रकृति की महिमा और इंद्र के अहंकार को समाप्त करने की कथा से जुड़ा हुआ है। इस दिन गायों, बछड़ों और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है, जो मानव और प्रकृति के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है।
गोवर्धन पूजा का आरंभ ब्रजभूमि (मथुरा-वृंदावन) से हुआ था और अब यह परंपरा पूरे देश में मनाई जाती है। आमतौर पर यह त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन इस बार त्योहार को लेकर लोगों के मन में संशय बना हुआ है। ऐसे में आइए पंचांग के अनुसार, जानते हैं कि गोवर्धन पूजा का त्योहर किस दिन मनाया जाएगा?
पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी। प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगी।
पूजन के शुभ मुहूर्त:
सुबह का मुहूर्त: 6:26 बजे से 8:42 बजे तक
शाम का मुहूर्त: 3:29 बजे से 5:44 बजे तक
इन समयों में भगवान गोवर्धन और गायों की पूजा करना अत्यंत शुभ माना गया है।
पूजा करने के बाद-

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को छप्पन भोग (56 प्रकार के व्यंजन) अर्पित किए जाते हैं। जिनमें दाल, चावल, मिठाई, फल, सब्जी और पकवान शामिल होते हैं।
यह भोग भगवान के प्रति आभार और प्रेम का प्रतीक है, जो प्रकृति द्वारा दिए गए अन्न, जल और जीवन के लिए धन्यवाद स्वरूप अर्पित किया जाता है।
विष्णु पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र अपने अहंकार में भर गए थे। उस समय गोकुलवासी हर वर्ष इंद्र की पूजा करते थे ताकि वर्षा ठीक से हो सके। बालकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से पूछा कि हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं, जबकि हमारी गायें और जीवन तो गोवर्धन पर्वत और प्रकृति पर निर्भर हैं। कृष्ण की बात मानकर सभी ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने गोकुल पर मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सात दिन तक गोकुलवासियों की रक्षा की। अंत में इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान से क्षमा मांगी। तभी से गोवर्धन पूजा का पर्व शुरू हुआ।
गोवर्धन पूजा में निम्न सामग्रियों का प्रयोग शुभ माना गया है-
इन सामग्रियों से पूजा करने से मन, तन और घर में शांति और समृद्धि आती है।
गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय संतुलन का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें बताता है कि मानव जीवन का आधार प्रकृति है और इसका सम्मान, संरक्षण और पूजन ही वास्तविक भक्ति है। इस दिन गाय की सेवा, दान और दीपदान करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।