Manisha Dhanwani
8 Dec 2025
पुष्पेन्द्र सिंह, भोपाल। मध्यप्रदेश के छतरपुर में जन्मे पदमश्री डॉ. अशोक हेमल का नाम कैंसर इलाज के लिए विश्व स्तर पर जाना जाने लगा है। उन्हें 5 दिसंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित विश्व यूरोलॉजी रोबोटिक्स सम्मेलन में गोल्डन रोबोट सर्जिकल अवॉर्ड-2025 प्रदान किया गया है।
यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले भारतीय हैं। इसके पहले उन्हें भारत के राष्ट्रपति पद्मश्री और डॉ. बीसी राय अवॉर्ड दे चुके हैं। अवॉर्ड मिलने के बाद पीपुल्स समाचार ने उनका पहला साक्षात्कार लिया। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश
जवाब: 20 साल तक एम्स दिल्ली में प्रोफेसर था। तब से यूरोलॉजी कैंसर के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। भारत में पहली यूरोलॉजी रोबोटिक्स सर्जरी एम्स, नई दिल्ली में की थी।
जवाब: जन्म छतरपुर में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा राजनगर हायर सेंकडरी स्कूल में और बीएससी महाराजा कॉलेज छतरपुर से की। इसके बाद जीआर मेडिकल कॉलेज ग्वालियर और पीजीआई चंडीगढ़ में आगे की पढ़ाई की। डॉक्टर बनने के बाद यही लक्ष्य लेकर चला कि अपने जिले, प्रदेश और देश की पहचान विश्व स्तर पर बना सकूं।
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जवाब: अभी वेक फॉरेस्ट विश्वविद्यालय अमेरिका में डायरेक्टर रोबोटिक सर्जरी के रूप में कार्यरत हूं।
जवाब: 66 वर्ष की उम्र हो गई है। फिलहाल भारत के साथ-साथ अमेरिका में भी कैंसर मरीजों की सेवा कर रहा हूं। लेकिन, पूरा निश्चय है कि अपने वतन वापस आऊंगा और कैंसर रोगियों के निदान और उपचार के लिए देश भर में काम करुंगा।
जवाब: अगर भविष्य में मौका मिला तो बाबा बागेश्वर कैंसर अस्पताल में सेवाएं दूंगा। इसके पहले छतरपुर में स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया। मेरा छोटा भाई डॉ. आलोक हेमल निदेशक और बाल रोग विभाग के प्रोफेसर, डॉ. आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली में बाल चिकित्सा कैंसर विशेषज्ञ है। वे भी भविष्य में छतरपुर स्थित बाबा बागेश्वर कैंसर अस्पताल में अपनी सेवाएं देंगे।