Aditi Rawat
14 Oct 2025
अयोध्या। इस वर्ष दीपोत्सव के नौवें संस्करण के अवसर पर अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच बनकर उभर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार अयोध्या में एक अभूतपूर्व अंतर्राष्ट्रीय रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की लीला का मंचन करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों की भागीदारी अयोध्या को न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन का केंद्र भी बनाएगी। इस बार कुल 90 विदेशी कलाकार अयोध्या की पावन भूमि पर अपनी कला और सांस्कृतिक धरोहर के माध्यम से रामकथा को जीवंत रूप में पेश करेंगे। अयोध्या के राम कथा पार्क में इस वर्ष विभिन्न राज्यों की प्रसिद्ध रामलीलाओं का मंचन किया जाएगा।
इस बार का आयोजन खास बनाता है इसमें शामिल होने वाले 90 विदेशी कलाकार, जो अलग-अलग देशों की कला और संस्कृति के माध्यम से श्रीराम की लीलाओं को मंच पर प्रस्तुत करेंगे। आयोजन का मुख्य केंद्र रामकथा पार्क होगा, जहां विभिन्न राज्यों की पारंपरिक रामलीलाएं भी देखने को मिलेंगी।
रूस से आए 15 कलाकार राम और सीता के दिव्य मिलन स्वयंवर प्रसंग का मंचन करेंगे। उनकी प्रस्तुति में रूस की पारंपरिक रंगमंचीय तकनीक और भारतीय रामकथा का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। कलाकारों ने इस प्रस्तुति के लिए महीनों की तैयारी की है।
थाईलैंड के 10 कलाकार रामलीला में शूर्पणखा प्रसंग, मारीच युद्ध और राम-रावण युद्ध जैसे दृश्यों को प्रस्तुत करेंगे। पारंपरिक थाई नृत्य-नाट्य शैली इन प्रसंगों को विशेष आकर्षण बनाएगी। इन दृश्यों के माध्यम से धर्म और अधर्म की लड़ाई दर्शकों के सामने जीवंत रूप से पेश होगी।
इंडोनेशिया के 10 कलाकार रामलीला के दो महत्वपूर्ण प्रसंगों लंका दहन और अयोध्या वापसी को रंगमंच पर पेश करेंगे। ये दृश्य राम के जीवन के निर्णायक मोड़ों को दर्शाते हैं और भारतीय सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाते हैं।
नेपाल से आए 33 कलाकार इस बार लक्ष्मण शक्ति का दृश्य प्रस्तुत करेंगे। अब तक नेपाल की रामलीला मुख्य रूप से सीता केंद्रित रही है, लेकिन इस बार की प्रस्तुति एक नया दृष्टिकोण लेकर आएगी, जो दर्शकों को रामकथा के अन्य पहलुओं से भी परिचित कराएगी।
श्रीलंका से आए 22 कलाकारों की टीम में से दो कलाकार पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। यह टीम रामेश्वरम में रावणेश्वर दृश्य का मंचन करेगी। श्रीलंका में आज भी रावण को एक आराध्य के रूप में पूजा जाता है, और यह भावनात्मक पक्ष भी मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय रामलीला न केवल अयोध्या को वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र पर स्थापित कर रही है, बल्कि यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का भी सशक्त उदाहरण बनता जा रहा है।