Aniruddh Singh
7 Oct 2025
मुंबई। देश के दिग्गज उद्योगपतियों में गिने जाने वाले अनिल अंबानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें 17,000 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ के लिए 5 अगस्त को नई दिल्ली मुख्यालय में हाजिर होने के लिए तलब किया है। यह समन हाल ही में रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और व्यक्तियों पर हुई छापेमारी के बाद जारी किया गया है।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, अनिल अंबानी की कंपनियों को 2017 से 2019 के बीच यस बैंक से भारी मात्रा में लोन दिया गया। बाद में इन लोन का डायवर्जन कर शेल कंपनियों में पैसा भेजा गया। जिन कंपनियों को लोन दिए गए, वे वित्तीय रूप से कमजोर थीं या उनके पास जरूरी दस्तावेज तक नहीं थे। एक ही डायरेक्टर और पता कई कंपनियों में दिखाया गया, जिससे संदेह और बढ़ गया।
सेबी की रिपोर्ट में बताया गया कि: रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने CLE Pvt Ltd नामक कंपनी को भारी मात्रा में लोन और गारंटी दी।
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 26 जुलाई को स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि:
सेबी ने कहा कि- CLE को रिलेटेड पार्टी नहीं दिखाया गया ताकि शेयरहोल्डर और ऑडिट कमेटी की मंजूरी से बचा जा सके।
CLE के बैंक खातों से जुड़े ईमेल @relianceada.com डोमेन से जुड़े पाए गए।
रिपोर्ट के अनुसार: अनिल अंबानी मार्च 2019 तक इन कंपनियों पर नियंत्रण और प्रभाव रखते थे। वह 2022 तक रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और डायरेक्टर रहे। इसलिए डायवर्जन और अनियमितताओं के लिए उनकी सीधी या परोक्ष जिम्मेदारी तय की जा रही है।
अगर ईडी को पूछताछ में पुख्ता सबूत मिलते हैं:
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