हिंदू धर्म में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं, जो सिर्फ देवी-देवताओं के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के लिए भी समर्पित होते हैं। ऐसे ही एक पर्व है नाग दिवाली, जो नाग देवता को समर्पित है। दीपावली और देव दीपावली के बारे में तो अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन नाग दिवाली इन दोनों से अलग है। जैसे सावन मास में नाग पंचमी मनाई जाती है, वैसे ही नाग दिवाली भी नाग देवता के प्रति सम्मान और आस्था दिखाने के लिए मनाई जाती है। हिंदू धर्म में नाग देवता को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तराखंड के चमोली जिले और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जैसे क्षेत्रों में मनाया जाता है।
श्रावण मास में मनाई जाने वाली नाग पंचमी की तरह, नाग दिवाली का दिन भी नाग देवता की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह पर्व प्रकृति, आस्था और प्रकाश से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और नाग देवता की छवि या आकृति बनाकर पूजा करते हैं। पूजा का उद्देश्य वंश वृद्धि, पारिवारिक खुशहाली और कालसर्प दोष निवारण होता है।
नाग दिवाली का त्योहार देव दिवाली के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। इसी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है।
पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नागों को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में स्थित कालसर्प दोष दूर होता है। इसके अलावा, वंश वृद्धि और पारिवारिक जीवन में खुशहाली के लिए भी लोग नाग देवता की पूजा करते हैं।
नाग दिवाली पर सबसे पहले अपने पूजा स्थल को साफ करें और वहां सांप की आकृति या नाग देवता की मूर्ति/चित्र रखें। हल्दी, कुमकुम और फूल से पूजा स्थल को सजाएं और दीपक जलाएं।
नाग देवता की कृपा पाने के लिए पारंपरिक मंत्र का जाप करें:
इस पूजा और मंत्र जाप से कालसर्प दोष शांत होता है, वंश वृद्धि होती है, पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
नाग दिवाली एक स्थानीय पर्व है और देश के कुछ ही क्षेत्रों में मनाई जाती है। मुख्य रूप से यह पर्व उत्तराखंड के चमोली जिले और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा क्षेत्र में मनाया जाता है। उत्तराखंड में लोग अपने घर के बाहर दीपक जलाते हैं, रांगोली बनाते हैं और नागदेवता की विशेष पूजा करते हैं। इस अवसर पर विशेष पकवान बनाकर उनका भोग अर्पित किया जाता है। लोग इस दिन नागदेवता से सुख-समृद्धि और आशीर्वाद भी मांगते हैं।
इस तरह नाग दिवाली न केवल धार्मिक महत्व रखती है बल्कि यह परंपरा, आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है।