Aditi Rawat
24 Nov 2025
खंडोबा हमारे देश के एक प्रसिद्ध लोकदेवता हैं। महाराष्ट्र में इनके कई मंदिर हैं और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी लोग इन्हें पूजते हैं। कई परिवार इन्हें अपने कुलदेवता मानते हैं। लोग खंडोबा को भगवान शिव का अवतार और एक वीर योद्धा मानते हैं। हर साल अगहन मास में खंडोबा की जयंती मनाई जाती है। इस दिन भक्त मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और विशेष आयोजन होते हैं। खंडोबा की पूजा मुख्य रूप से ग्रामीण और किसान समुदाय करते हैं। इन्हें अक्सर बाग और घोड़े के साथ दर्शाया जाता है और इनके साथ माता भवानी और माता अन्नपूर्णा का भी संबंध माना जाता है।
भगवान खंडोबा हमारे देश के प्रसिद्ध लोकदेवताओं में से एक हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में उनकी विशेष पूजा होती है। स्थानीय परंपरा के अनुसार, खंडोबा की जयंती अगहन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 26 नवंबर, बुधवार को है। इस दिन भक्त मंदिरों में जाकर भगवान खंडोबा की पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न धार्मिक आयोजन होते हैं।
खंडोबा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के जेजुरी गांव में स्थित है। यह मंदिर खंडोबा की भक्ति और लोक परंपरा का मुख्य केंद्र माना जाता है। इसके अलावा महाराष्ट्र के कई और जिलों में भी खंडोबा के मंदिर हैं, जैसे पंढरपुर, अंबाजोगाई और नासिक। इन मंदिरों में हर साल बड़ी संख्या में भक्त पूजा करने आते हैं।
एक प्राचीन कथा के अनुसार, मणि और मल्ल नाम के दो शक्तिशाली राक्षस थे। अपने बल और शक्ति के अभिमान में उन्होंने मानव जाति और ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। तब भगवान शिव ने मार्तंड भैरव के रूप में अवतार लिया और राक्षसों को युद्ध के लिए चुनौती दी।
मणि और मल्ल ने भगवान शिव को देखकर उनसे माफी मांगी। भगवान शिव ने उन्हें माफ कर दिया। मार्तंड भैरव का यही अवतार खंडोबा कहलाया। इन्हें मल्हारी मार्तंड, मल्लारी और खंडेराय के नाम से भी पूजा जाता है।
खंडोबा की दो पत्नियां थीं – मणि (म्हालसा) और बाणाई (बनाई)। यह दोनों पत्नी खंडोबा की पूजा और कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
खंडोबा की पूजा मुख्य रूप से ग्रामीण और किसान समुदाय करते हैं। लोग उनकी शक्ति और वीरता के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। मंदिरों में भजन, कीर्तन और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है। अगहन मास में खंडोबा जयंती विशेष महत्व रखती है, इसलिए इस समय श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिरों में आते हैं।