Shivani Gupta
28 Nov 2025
नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल 4 और 5 दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं। यह उनकी यूक्रेन युद्ध के बाद पहली लंबी भारत यात्रा होगी। पुतिन इस दौरान 23वीं भारत-रूस वार्षिक समिट में भाग लेंगे। हर साल यह समिट बारी-बारी से दोनों देशों में आयोजित होता है और इस बार भारत की मेजबानी है।
इस दौराने पुतिन भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे। राष्ट्रपति मुर्मू पुतिन के सम्मान में स्टेट डिनर देंगी, जिसमें पीएम मोदी भी शामिल होंगे।
पुतिन का यह दौरा भारत-रूस संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ डिफेंस, ऊर्जा और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा। अमेरिका ने रूस से तेल खरीद के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे भारत को कुल मिलाकर 50% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका का कहना है कि, रूस को यह सहयोग यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, पुतिन का दौरा इस वजह से भी महत्वपूर्ण है कि पिछले साल ICC ने पुतिन के खिलाफ वॉर क्राइम्स के आरोपों पर अरेस्ट वारंट जारी किया था। तब से पुतिन अन्य देशों की यात्राओं से बचते रहे हैं।
समिट के दौरान पीएम मोदी और पुतिन कई अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे। जिनमें क्रूड ऑयल डील और ऊर्जा सहयोग, डिफेंस समझौते जैसे S-400 मिसाइल सिस्टम और SU-57 फाइटर जेट, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दे शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि डिफेंस समझौते इस दौरे का मुख्य फोकस होगा। रूस पहले ही भारत को SU-57 स्टेल्थ फाइटर जेट देने के लिए तैयार है। इसके अलावा मौजूदा S-400 डिलीवरी, भविष्य में S-500 सहयोग, ब्रह्मोस मिसाइल का नया वर्जन और नौसेना के लिए वॉरशिप निर्माण जैसी योजनाओं पर बातचीत की संभावना है।
रूस भारत को सस्ता क्रूड ऑयल बेच रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोप के दबाव के कारण पेमेंट में कठिनाइयां आती रही हैं। इस दौरे में दोनों देश नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर विचार कर सकते हैं, जिससे व्यापार और लेन-देन सुचारू हो। इसमें रुपया-रूबल ट्रेड, डिजिटल भुगतान प्रणाली, तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। साथ ही रूस भारत को आर्कटिक रीजन की ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का अवसर भी दे सकता है।
पुतिन की यात्रा के दौरान दोनों देश स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, विज्ञान-तकनीक, व्यापार और पोर्ट्स के विकास पर चर्चा कर सकते हैं। रूस में वर्कर्स की कमी के कारण भारत से तकनीकी एक्सपर्ट, मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर और अन्य प्रशिक्षित श्रमिक भेजने का समझौता हो सकता है। यह कदम भारत के लिए भी बड़ा अवसर है, क्योंकि इससे भारतीयों को विदेश में नौकरी के नए मौके मिल सकते हैं।
पुतिन ने आखिरी बार 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था, जो सिर्फ 4 घंटे का था। उस समय दोनों देशों के बीच 28 समझौते हुए थे, जिनमें मिलिट्री और तकनीकी सहयोग शामिल थे। भारत और रूस ने 2025 तक 30 अरब डॉलर सालाना ट्रेड का टारगेट रखा था। अब 2030 के लिए नए आर्थिक रोडमैप पर चर्चा होगी। वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 अरब डॉलर है, और इसे दोगुना कर 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2024 में दो बार रूस की यात्रा की थी-
इस दौरान पीएम मोदी ने पुतिन को भारत आने का न्यौता दिया।