Manisha Dhanwani
15 Nov 2025
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका में विदेशी स्किल्ड वर्कर्स खासतौर पर भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले H-1B वीजा को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में फीस में भारी बढ़ोतरी के बाद अब उनकी ही पार्टी की सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने इस वीजा प्रोग्राम को पूरी तरह समाप्त करने के लिए विधेयक पेश कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि, इस कदम से अमेरिका खुद को गहरे संकट में धकेल सकता है।
जॉर्जिया से रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो जारी करते हुए बताया कि, उन्होंने अमेरिकी संसद में H-1B वीजा को खत्म करने वाला बिल पेश कर दिया है।
ग्रीन का दावा है कि, यह वीजा अमेरिकी कर्मचारियों को हटाने, सस्ते विदेशी लेबर लाने और सिस्टम के दुरुपयोग के लिए इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा, H-1B एक अस्थायी कामकाजी वीजा था। इसे स्थायी निवास या नागरिकता का रास्ता नहीं बनना चाहिए। वीजा खत्म होते ही लोगों को वापस लौटना होगा।
सांसद ग्रीन द्वारा पेश किए गए विधेयक में H-1B वीजा की वार्षिक संख्या को 85,000 से घटाकर केवल 10,000 करने का प्रस्ताव है। हालांकि, यह 10,000 स्लॉट सिर्फ डॉक्टर्स, नर्सेज और अन्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, यह छूट अगले 10 सालों में पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी ताकि अमेरिका अपने डॉक्टर खुद तैयार कर सके।
मार्जोरी ग्रीन ने आरोप लगाया कि, पिछले साल 9,000 अमेरिकी डॉक्टर मेडिकल कॉलेज से पास होने के बाद भी रेजिडेंसी नहीं पा सके, जबकि 5,000 विदेशी डॉक्टरों को सीटें मिल गईं। बिल में यह प्रावधान भी शामिल है कि, Medicare से फंड पाने वाले सभी रेजिडेंसी कार्यक्रमों में विदेशी मेडिकल छात्रों को एडमिशन देने पर प्रतिबंध लगाया जाए।
थिंक टैंक थर्ड वे की सामाजिक नीति निदेशक सारा पियर्स ने इस कदम को अमेरिका के लिए खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि, लाखों H-1B वीजा धारक अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाओं, टेक सेक्टर, इंजीनियरिंग और रिसर्च में रीढ़ की हड्डी की तरह काम कर रहे हैं। वीजा समाप्त होते ही ये कर्मचारी वापस लौट जाएंगे, जिससे कई उद्योगों में कर्मचारियों का गंभीर अकाल पैदा हो जाएगा।
ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी पहले ही बड़ी समस्या है। H-1B बंद होते ही मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है। देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें ज्यादा मेडिकल और केयर वर्कर्स की जरूरत है, जिन्हें यह वीजा प्रोग्राम पूरा करता है।
कुछ महीने पहले ही ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा की फीस को बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (करीब 90 लाख रुपए) कर दिया था। 2024 के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में रहने वाले 70% H-1B वीजा धारक भारतीय हैं। इसलिए फीस बढ़ोतरी और संभावित प्रतिबंध दोनों का सबसे बड़ा झटका भारतीय प्रोफेशनल्स को लगने की आशंका है।
H-1B वीजा पर कड़ा रुख अपनाना ट्रंप की America First नीति का हिस्सा माना जा रहा है। विशेषज्ञों की राय है कि अगर यह बिल पास हो गया, तो अमेरिका में टेक उद्योग, स्वास्थ्य सेवाओं और उच्च कौशल वाले सेक्टर में भारी संकट उत्पन्न हो सकता है। फिलहाल बिल पेश हो चुका है, लेकिन इसके पास होने की प्रक्रिया में लंबा समय और राजनीतिक बहसें दोनों शामिल होंगी।