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Mithilesh Yadav
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Manisha Dhanwani
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वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा सहयोग को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने भारत से अपील की है कि, वह रूस से कच्चे तेल का आयात करने पर दोबारा विचार करे। उन्होंने साफ कहा कि, अमेरिका भारत को सजा नहीं देना चाहता, बल्कि युद्ध खत्म कराना चाहता है और भारत के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है।
न्यूयॉर्क में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान क्रिस राइट ने भारत को अमेरिका का शानदार सहयोगी और ऊर्जा क्षेत्र में "स्टार" बताया। उन्होंने कहा, “मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और अमेरिका का मजबूत साझेदार है। हम भारत से प्यार करते हैं और उसके साथ ऊर्जा व्यापार बढ़ाना चाहते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि, अमेरिका प्राकृतिक गैस, कोयला, परमाणु ऊर्जा और स्वच्छ रसोई ईंधन जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है।
राइट ने कहा कि, भारत किसी भी देश से तेल खरीद सकता है, लेकिन रूस से नहीं। उनका कहना था कि, रूस को तेल से मिलने वाला पैसा सीधे युद्ध को फंड करता है, जिससे हर हफ्ते हजारों लोग मारे जा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा-“भारत को रूसी तेल खरीदने की जरूरत नहीं है। वह सिर्फ इसलिए खरीद रहा है क्योंकि यह सस्ता है। लेकिन यही पैसा रूस युद्ध में झोंक रहा है।”
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 में रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया था। इससे पहले ही 25% रेसीप्रोकल टैरिफ लगाया गया था, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया।
भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि उसका ऊर्जा आयात राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों के अनुसार तय होता है। रूस से सस्ते तेल की वजह से भारत ने पिछले कुछ वर्षों में आयात बढ़ा दिया, जिससे सरकारी तेल कंपनियों के मुनाफे में जबरदस्त उछाल देखने को मिला।
रूस ने अगस्त में कहा था कि, उसके कच्चे तेल का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि यह सबसे सस्ता है। रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने दावा किया था कि, भारत को रूसी तेल पर लगभग 5% छूट मिल रही है, जिससे उसे भारी मुनाफा हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि, अमेरिका द्वारा भारत पर डाला जा रहा दबाव गलत है।