Aniruddh Singh
11 Oct 2025
वाशिंगटन डीसी/नई दिल्ली। अमेरिकी ऑटोमोबाइल दिग्गज कंपनी फोर्ड मोटर ने तमिलनाडु के मरैमलाई नगर स्थित अपने चेन्नई प्लांट के भविष्य को लेकर पुनर्विचार शुरू कर दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू आयात-निर्यात शुल्क (टैरिफ) नियमों ने कंपनी की वैश्विक रणनीति पर गहरा असर डाला है, जिससे भारत में स्थित यह यूनिट एक बार फिर अनिश्चितता के बादल मंडराते दिख रहे हैं। यह प्लांट 2022 के मध्य से ही बंद पड़ा है, जब कंपनी ने भारत में वाहन निर्माण पूरी तरह रोक दिया था। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक, मिशिगन स्थित फोर्ड के शीर्ष अधिकारी जल्द ही एक अहम बैठक करेंगे, जिसमें यह तय किया जाएगा कि चेन्नई प्लांट में अब आगे क्या किया जाए।
कंपनी के सामने दो विकल्प हैं-या तो इस निवेश को राइट-ऑफ करके नुकसान को स्वीकार कर लिया जाए या फिर इस यूनिट में दोबारा उत्पादन शुरू किया जाए। पहले कंपनी ने यहां इंजन निर्माण पर विचार किया था लेकिन अब ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण अमेरिका को निर्यात महंगा हो गया है, जिससे यह योजना व्यवहारिक नहीं रह गई है। कंपनी के कई अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप टैरिफ़ ने न केवल भारत से अमेरिका को निर्यात को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि कई अमेरिकी कंपनियों की निवेश योजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और राजनीतिक अस्थिरता के चलते अब कई कंपनियां भारत की बजाय यूरोप की ओर रुख कर रही हैं। एक सूत्र ने बताया कि भारत अब फोर्ड के लिए प्राथमिक बाज़ार नहीं रह गया है, बल्कि कंपनी अब अपने नए निवेश यूरोप पर केंद्रित कर रही है।
फोर्ड ने यूरोप में बड़े पैमाने पर नई पूंजी लगाने का फैसला किया है। इसमें जर्मनी में 4.4 अरब रुपए का निवेश, कोलोन में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण की एक बड़ी परियोजना, ब्रिटेन में पुर्जे बनाने का केंद्र और नई इलेक्ट्रिक कारों के कई मॉडल लॉन्च करने की योजनाएं शामिल हैं। कंपनी इन सबके लिए बैटरी अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर भी जोर दे रही है। हालांकि, फोर्ड ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि चेन्नई प्लांट को लेकर उसका रुख 2024 के अंत से नहीं बदला है। कंपनी का कहना है कि वह अब भी इस यूनिट का उपयोग निर्यात के लिए उत्पादन केंद्र के रूप में करने का इरादा रखती है, हालांकि किस प्रकार के उत्पादन की योजना है, यह बाद में स्पष्ट किया जाएगा।
फोर्ड ने यह भी बताया कि उसकी 12,000 कर्मचारियों वाली फोर्ड बिजनेस सर्विसेज टीम अब भी चेन्नई में कार्यरत है। यह टीम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आईटी, वित्त, लेखांकन और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से कंपनी के वैश्विक परिचालन में सहयोग करती है। कंपनी का कहना है कि वह तमिलनाडु सरकार से नियमित संपर्क में है और राज्य सरकार के सहयोग की सराहना करती है। फिर भी, अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि फोर्ड अभी अंतिम निर्णय लेने में समय ले रही है। एक ओर कंपनी राज्य सरकार से बातचीत जारी रखे हुए है, तो दूसरी ओर वह आर्थिक माहौल और ट्रंप की नीतियों के प्रभाव का मूल्यांकन कर रही है। तमिलनाडु सरकार चाहती है कि कंपनी जल्द निर्णय ले, क्योंकि राज्य खुद को ऑटोमोबाइल निर्माण केंद्र के रूप में और मजबूत बनाना चाहता है।