Naresh Bhagoria
19 Dec 2025
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Hemant Nagle
19 Dec 2025
Naresh Bhagoria
19 Dec 2025
Naresh Bhagoria
19 Dec 2025
पल्लवी वाघेला, भोपाल।
ग्वालियर के 48 वर्षीय वकील सतेन्द्र सिंह यादव ने इफको टोकिया जनरल इंश्योरेंस कंपनी की कोरोना रक्षक पॉलिसी ली थी। पहली लहर में पॉजिटिव होने पर 8 दिन घर पर क्वारेंटाइन रहे। क्लेम मांगने पर कंपनी ने कहा कि घर पर इलाज कराने का सुझाव कोविड प्रकरण में लागू नहीं होता। आयोग ने इंश्योरेंस कंपनी को 70 हजार रुपए देने के आदेश दिए।
भोपाल की रेखा अग्रवाल और उनके पति ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ बीमा लिया था। कोविड में तबियत बिगड़ने पर 10 दिन अस्पताल में रही। क्लेम पर कंपनी ने कहा कि वह इतनी गंभीर रूप से भी बीमार नहीं थी कि अस्पताल जाना पड़े। लंबे उन्होंने जनवरी 2024 में परिवाद दायर किया और ब्याज एवं जुर्माने सहित करीब एक लाख 60 हजार रुपए पाने के आदेश हुए।
भोपाल के अंकित सिंह ने चोलामंडलम जनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमा पॉलिसी ली थी। यह कोरोना रक्षक पॉलिसी से नियमानुसार कवर्ड थी। पहले वह होम आइसोलेशन में रहे, उसके बाद डॉक्टर की सलाह पर निजी अस्पताल में भर्ती हुए। लेकिन बीमा कंपनी ने उनके क्लेम को खारिज कर दिया। आखिर 2023 में उपभोक्ता आयोग से उन्हें एक लाख 20 हजार रुपए पाने के आदेश जारी हुए।
क्लेम न देने के लिए कई बार बीमा कंपनियां डॉक्टर्स के परामर्श को भी नकार देती हैं। ऐसे में कोशिश होती है कि हम यह तर्क रख सकें कि डॉक्टर की सलाह की अनदेखी मरीज के लिए अनहोनी साबित हो सकती थी। बीमा कंपनी अनुचित तर्क के आधार पर क्लेम खारिज नहीं कर सकती।
विजय बहादुर सिंह तोमर, एडवोकेट