Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
अगर आप प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा देखने या उसमें शामिल होने का मन बना रहे हैं, तो अच्छी खबर है अब आपको आधी रात उठने की जरूरत नहीं। पहले पदयात्रा रात 2 बजे निकलती थी, जिससे ठंड और अंधेरे में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती थी। लेकिन अब यात्रा के समय में बदलाव किया गया है। अब आप बिना ठंड या रात के अंधेरे की चिंता किए संत के दर्शन कर सकते हैं।
हर रोज हजारों भक्त प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं। लोग दूर-दूर से भी आते हैं। यह यात्रा सिर्फ देखने के लिए नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव और भक्ति का साक्षी बनने के लिए होती है। पूरे रास्ते भजन और कीर्तन का माहौल रहता है। हर कोई संत की एक झलक पाने के लिए उत्साहित रहता है।
पहले रात 2 बजे पदयात्रा निकलती थी। ठंड और अंधेरा श्रद्धालुओं के लिए मुश्किल बना देता था। बुजुर्ग और बच्चे इसे सहन नहीं कर पाते थे। प्रशासन और अनुयायियों ने इसे देखते हुए समय बदलने का फैसला किया, ताकि सभी भक्त सुरक्षित और आराम से दर्शन कर सकें।
अब पदयात्रा शाम 5 बजे शुरू होगी। इससे श्रद्धालुओं को बहुत राहत मिली है। शाम के समय आने से पूरा रास्ता देखने में आसान और सुरक्षित बन गया है। भक्तों का कहना है कि अब दर्शन और अधिक सुखद और सुविधाजनक हो गए हैं।
पदयात्रा श्रीकृष्ण शरणम् से शुरू होकर श्री राधा केलिकुंज आश्रम तक जाती है। लगभग 2 किलोमीटर लंबी इस यात्रा के दौरान पूरा मार्ग भक्तों से भरा रहता है। लोग हाथ जोड़कर संत को देखते हैं, कुछ बाइक और कार से चलते हैं और भजन, कीर्तन से वातावरण और भक्तिमय बनता है।
प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनका बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। घर में बचपन से ही भक्ति का माहौल था, जिसने उनके जीवन को आध्यात्मिक दिशा दी।
संन्यास लेने के लिए उन्होंने घर छोड़ दिया और वाराणसी में साधना शुरू की। उन्होंने दस वर्षों से अधिक समय तक अपने गुरु की सेवा की। गुरु और वृंदावन धाम के आशीर्वाद से उनकी भक्ति और गहरी हो गई। महाराज श्री राधा रानी के बड़े भक्त हैं उनकी दोनों किडनियां कई सालों से खराब है। इसके बावजूद संत हर रोज सुबह वृंदावन की परिक्रमा करते हैं और राधा रानी की भक्ति में लीन रहते हैं। उनकी साधना इतनी गहरी है कि वे पूरी तरह राधा रानी के चरणों में समर्पित हो गए।