Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
हर साल 25 दिसंबर को पूरे विश्व में क्रिसमस धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि बाइबिल में ईसा मसीह की सटीक जन्मतिथि का कोई उल्लेख नहीं है, लेकिन इतिहास के अनुसार इसका चुनाव चौथी शताब्दी में रोमन चर्च ने किया। रोमन साम्राज्य में 25 दिसंबर को सूर्य देव (Sun God- Sol Invictus) का पर्व मनाया जाता था। यह दिन Winter Solstice के समय पड़ता है, जब धीरे-धीरे दिन बड़े होने लगते हैं। चर्च ने इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में जोड़कर इसे आध्यात्मिक प्रकाश का प्रतीक बना दिया। पुराने सूर्य पर्व को ईसाई धर्म में अंधकार के बाद प्रकाश के संदेश के रूप में प्रस्तुत किया गया।

क्रिसमस का पहला औपचारिक उत्सव चौथी शताब्दी में रोम में मनाया गया। इसका सबसे पहला लिखित उल्लेख 336 ईस्वी में मिलता है। समय के साथ यह पर्व यूरोप में फैल गया और फिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ। अमेरिका में साल 1836 में इसे आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। भारत में क्रिसमस का आगमन पुर्तगाली और ब्रिटिश मिशनरियों के साथ हुआ। सबसे पहले गोवा, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में इसे मनाने की परंपरा शुरू हुई। यह भी पढ़ें: Christmas या X-Mas! नाम बदलने के पीछे छिपा सदियों पुराना सच
क्रिसमस के दिन लोग चर्च जाकर विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और कैरोल गाते हैं। कैरोल्स वह गीत हैं जो ईसा मसीह के जन्म की खुशी में गाए जाते हैं। घरों और चर्चों को रोशनी और सजावट से सजाया जाता है। क्रिसमस ट्री की परंपरा जर्मनी से आई, जहां सदाबहार पेड़ जीवन और उम्मीद का प्रतीक माने जाते थे। इसी तरह, सांता क्लॉज बच्चों के लिए खुशी और उपहार का प्रतीक हैं। सर निकोलस के समय से उपहार देने की परंपरा शुरू हुई, जो बाद में सांता क्लॉज के रूप में विकसित हुई।
क्रिसमस केवल उत्सव नहीं है, बल्कि यह जरूरतमंदों की मदद, दान और सेवा का भी दिन है। यह पर्व हमें प्रेम, करुणा और क्षमा का संदेश देता है। ईसा मसीह ने मानवता और दुखियों के साथ खड़े रहने की शिक्षा दी। इस दिन हम एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं।


आज क्रिसमस केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसे अपने-अपने रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। लोगों के घरों में रोशनी, सजावट, क्रिसमस ट्री, उपहार और मिठाइयों के साथ यह पर्व खुशियों और प्रेम का प्रतीक बन चुका है।