Aniruddh Singh
26 Oct 2025
वाशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया कि भारत ने पूरी तरह से रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने रूस के ऊर्जा क्षेत्र पर नए प्रतिबंध लगाए हैं और ट्रंप अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने वाले हैं। यह मुलाकात अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव, तकनीकी प्रतिबंधों और कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर हो रही खींचतान के बीच एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, चीन ने रूसी तेल की खरीद को काफी कम कर दिया है और भारत ने तो इसे पूरी तरह बंद कर दिया है। हमने रूस की तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, ताकि मॉस्को की वित्तीय स्थिति पर दबाव बनाया जा सके और उसकी सैन्य गतिविधियों को ऊर्जा निर्यात से मिलने वाले फंड से रोका जा सके।
उनके मुताबिक, यह कदम रूस पर आर्थिक नियंत्रण बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। ट्रंप ने कहा चीन के साथ होने वाली आगामी वार्ता में वे कृषि व्यापार और फेंटानिल नामक नशीले पदार्थ की तस्करी पर भी चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा हमारे किसानों का ध्यान रखना मेरी प्राथमिकता है। साथ ही फेंटानिल की समस्या पर बात करेंगे। यह बहुत से लोगों की जान ले रहा है और इसका बड़ा हिस्सा चीन से आता है। ट्रंप ने संकेत दिया कि अमेरिका और चीन की यह वार्ता केवल व्यापार नहीं, बल्कि व्यापक सुरक्षा और कूटनीतिक मुद्दों पर पूर्ण समझौता हासिल करने की दिशा में भी काम कर सकती है। उन्होंने कहा यह मुलाकात अमेरिका-चीन संबंधों को रीसेट करने का अवसर हो सकती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने भारत के रूसी तेल आयात को लेकर दावा किया हो। उन्होंने पहले भी कहा था कि भारत वर्ष के अंत तक रूस से तेल खरीद में काफी कमी करेगा। हालांकि भारत ने ट्रंप के इन दावों को सिरे से खारिज किया है। नई दिल्ली ने स्पष्ट कहा है कि भारत की ऊर्जा नीति उसके राष्ट्रीय हितों पर आधारित है और इसका मकसद है अपने देश के लिए सस्ते और भरोसेमंद तेल स्रोत सुनिश्चित करना। भारत ने बार-बार यह दोहराया है कि उसने किसी भी अमेरिकी दबाव में रूस से तेल खरीद में कमी करने का निर्णय नहीं लिया है।