Naresh Bhagoria
20 Dec 2025
Manisha Dhanwani
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20 Dec 2025
मुंबई। महाराष्ट्र में भाषा को लेकर छिड़े विवाद के बीच शनिवार को मुंबई के वर्ली डोम में एक ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला, जब करीब दो दशकों बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर नजर आए। यह मंच था ‘मराठी एकता रैली’ का, जहां दोनों नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए एक सुर में कहा कि अगर मराठी भाषा की अस्मिता के लिए लड़ना गुंडागर्दी है, तो हम भी गुंडे हैं।
इस रैली में 48 मिनट के साझा भाषण में दोनों नेताओं ने मराठी बनाम हिंदी विवाद, महाराष्ट्र की उपेक्षा, केंद्र सरकार की नीतियों और भाजपा के नेतृत्व पर खुलकर प्रहार किए। भाषणों की मुख्य थीम मातृभाषा मराठी की रक्षा, उसकी गरिमा और महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान रही।
राज ठाकरे ने अपने भाषण की शुरुआत में तीन भाषा के फार्मूले को केंद्र सरकार की जबरदस्ती बताया और कहा कि यह फॉर्मूला महाराष्ट्र पर थोपा गया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जैसे संवैधानिक संस्थानों में आज भी सिर्फ अंग्रेजी का ही बोलबाला है और महाराष्ट्र ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहां अपनी भाषा को लेकर बार-बार सवाल उठते हैं।
उन्होंने सवाल किया कि अगर देश के अन्य राज्यों में स्थानीय भाषाएं सम्मान के साथ वजूद में रह सकती हैं, तो महाराष्ट्र में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? राज ने कहा कि महाराष्ट्र जब जागता है, तो पूरी दुनिया उसे देखती है।
राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि मराठी भाषा से प्रेम का मतलब यह नहीं कि अन्य भाषाओं से घृणा की जाए। उन्होंने कहा कि अगर कोई गुजराती या अन्य राज्य का व्यक्ति महाराष्ट्र में रहता है, तो उससे सिर्फ यह अपेक्षा है कि वह मराठी बोले क्योंकि यह उस भूमि का सम्मान है, जिस पर वह रह रहा है।
हालांकि उन्होंने हिंसा या जबरदस्ती की निंदा करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति मराठी नहीं बोलता, तो उसे पीटने की जरूरत नहीं है। लेकिन अगर कोई जानबूझकर मराठी भाषा और संस्कृति का अपमान करता है, तो उस पर सख्ती जरूरी है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि किसी घटना का वीडियो बनाया गया तो उद्देश्य केवल सनसनी होगा, न कि न्याय।
उद्धव ठाकरे ने अपने तीखे तेवरों के साथ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ‘हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान’ के नारे के नाम पर विविधता को मिटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र ने मुंबई के लिए लड़ाई लड़ी और तब से अब तक मराठी अस्मिता को कुचलने के प्रयास किए जाते रहे हैं।
ठाकरे ने सीएम फडणवीस के हालिया बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर मराठी भाषा के लिए बोलना गुंडागर्दी है, तो वे इस गुंडागर्दी को गर्व से स्वीकार करते हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1992 में जब मुंबई में दंगे भड़के थे, तब मराठी समुदाय ने शहर में रहने वाले अन्य हिन्दू समुदायों की जान बचाई थी।
इस रैली की सबसे खास बात रही राज और उद्धव ठाकरे का एक साथ मंच पर आना। 2006 के बाद यह पहला मौका था जब दोनों नेता सार्वजनिक मंच पर एकजुट नजर आए। उद्धव ठाकरे ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल कुछ ज्योतिषी इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि क्या ये दोनों ठाकरे भाई फिर से साथ आएंगे। उन्होंने व्यंग्य करते हुए जोड़ा कि हमारी कुंडली देखने वालों से ज्यादा जरूरी यह है कि देश की कुंडली कौन बना रहा है।