Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Shivani Gupta
7 Oct 2025
प्रवीण श्रीवास्तव
भोपाल। कंधे और रीढ़ की हड्डी में दर्द, जोड़ों में दर्द या झुकी कमर जैसी दिक्कतें पहले बड़ी उम्र के लोगों को हुआ करती थीं, लेकिन अब 20 साल के युवाओं को भी ये समस्याएं होने लगी हैं। घंटों गर्दन झुकाकर मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताना, घंटों लैपटॉप पर झुककर काम करना, एक कंधे पर बैग टांगना और लगातार एक जगह बैठना इसकी मुख्य वजहें हैं। यह आँकड़ा चिंता में डालने वाला है कि अस्पतालों के हड्डी रोग विभाग में आने वाला हर चौथा मरीज, स्पाइनल डैमेज जैसी परेशानी से जूझ रहा है। हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में हर दिन हड्डी रोग से पीड़ित 70 से 80 मरीज पहुंचते हैं, जिसमें से 25 युवा इसी समस्या से पीड़ित हैं।
-गलत बैठने का ढंग: कुर्सी पर झुककर बैठना या लंबे समय तक एक ही मुद्रा में रहने से रीढ़ की प्राकृतिक संरचना बिगड़ती है।
-खराब पॉश्चर: लगातार गलत स्थिति में काम करना।
-पेट की चर्बी: बैली फैट रीढ़ पर दबाव डालती है, जिससे लोअर बैक पेन होता है।
-हड्डियों की कमजोरी: विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से कम उम्र में ही बोन डेंसिटी घट रही है।
-शारीरिक गतिविधियों में गिरावट: युवाओं में व्यायाम की कमी स्थिति को और गंभीर बना रही है।
-गैजेट्स पर निर्भरता: मोबाइल व लैपटॉप देखने से गर्दन और रीढ़ पर गलत प्रभाव पड़ता है।
हमीदिया अस्पताल के ऑर्थोपेडिक विभाग की ओपीडी में चार दिन में 280 मरीज पहुंचे। इसमें से 138 मरीजों को बैक पेन और जॉइंट पेन की परेशानी थी। इसमें से 58 मरीजों की उम्र 30 या इससे कम थी। इसी तरह जेपी अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में भी 153 मरीज बैक और जॉइंट पेन के पहुंचे।
जीएमसी के न्यूरो सर्जरी यूनिट में लगभग हर दिन एक मामला गंभीर हालत में पहुंचता है। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले 5 से 10 सालों में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों के मामलों में वृद्धि हुई है। इनमें सर्वाइकल डिस्क, स्लिप डिस्क और स्पॉन्डिलाइटिस प्रमुख हैं। हर 10 युवाओं में से एक स्पाइन सर्जरी का मरीज होता है। इसके लिए आज की आदतें जिम्मेदार हैं। न्यूरो सर्जन डॉ. आईडी चौरसिया बताते हैं कि युवाओं की गलत आदतें ही उन्हें बीमार कर रहे हैं।
जीएमसी में अस्थिरोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राहुल वर्मा ने कहा रीढ़ और गर्दन संबंधी समस्याओं को दवाओं से दबाना सही नहीं है। गलत पॉश्चर के कारण मांसपेशियों में सूजन और अकड़न आ सकती है, जो समय रहते न सुधारी तो डिस्क संबंधी समस्याएं बन सकती हैं। हालांकि सही तरीके से बैठकर, नियमित स्ट्रेचिंग और योग से लगभग 60 प्रतिशत राहत संभव है।
जेपी अस्पताल के अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. केके देवपुजारी हर तीसरे-चौथे मरीज को गर्दन के दर्द की शिकायत है। अधिकतर युवा गलत तरीके से बैठने-उठने के कारण इस समस्या से ग्रसित हैं। उन्हें सही पॉश्चर, उठने-बैठने के तरीके और व्यायाम की जानकारी दी जाती है। अधिकांश मरीज 2-3 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कई का इलाज लंबा चलता है।