Priyanshi Soni
22 Oct 2025
शाहिद खान
भोपाल। शहर की सड़कों पर वाहनों की स्पीड पर लगाम लगाने वाले स्पीड ब्रेकर (स्ट्रिप) ही अब हादसों का कारण बन रहे हैं। जगह-जगह से क्षतिग्रस्त वाहन चालकों को न सिर्फ निकलने में परेशानी हो रही है, बल्कि टूटे ब्रेकर्स की नुकीली कीलें टायर पंचर कर रही हैं। यह स्थिति तब है, जब सड़क निर्माण एजेंसियां लगभग हर 6 माह में ब्रेकर्स बदलने का दावा करती हैं। दरअसल वाहनों की गति को कम करने के लिए सड़कों पर निर्माण एजेंसियों द्वारा फाइबर के स्पीड ब्रेकर लगाए जाते हैं, लेकिन ये चंद दिनों में टूट जाते हैं।
जानकारों की मानें तो अच्छी क्वालिटी न होने की वजह से इनकी औसत उम्र ही एक से दो महीने है। शहर की सड़कों पर स्थिति ये है कि कहीं ब्रेकर साइड से टूटा है तो किसी का बीच में से हिस्सा गायब है। इस कारण नुकीली कीलें बाहर निकल आई हैं। इससे वाहनों के निकलने से पंचर हो रहे हैं। वहीं कई बार वाहन चालक इनके कारण दुर्घटना के शिकार भी हो चुके हैं।
शहर में जिन सड़कों में फाइबर स्पीड ब्रेकर टूटे हैं, उनमें लिंक रोड नंबर 1, 2 और 3 के साथ ही अटल पथ (बुलेवर्ड स्ट्रीट) सहित स्मार्ट रोड शामिल हैं। यह स्थिति लगभग हर सड़क की है जहां फाइबर स्पीड ब्रेकर लगे हैं। ऐसे में दो पहिया वाहन चालक ब्रेकर से वाहन ले जाने की बजाए टूटे हिस्से से वाहन निकालता है। इस दौरान लेफ्ट साइड से जो वाहन चालक सामने आते हैं, उसकी गलत साइड से टक्कर हो जाती है। इस तरह से चार पहिया वाहनों का भी टूटे ब्रेकरों से निकलते समय संतुलन बिगड़ता है।
-2013 रुपए प्रतिमीटर की दर है इन ब्रेकर की कीमत
-20 होलसेलर से पांच साल में खरीदी गर्इं ये स्ट्रिप
-08 कंपनियां भोपाल में आपूर्ति करती हैं इनकी।
-7500 मीटर प्रतिवर्ष नई स्ट्रिप की होती है खरीदी।
सूत्रों के मुताबिक शहर की सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार पर लगाम लगाने में हर साल शहर में 7500 रनिंग मीटर के नए ब्रेकर लगाए जाते हैं। इन पर करीब 60 लाख रुपए का खर्च हो रहा है। बीते पांच साल में शहर में इन ब्रेकर पर 3 करोड़ से अधिक राशि खर्च हो चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक तीन से 5 माह में ही इन ब्रेकर को बदलने की जरूरत पड़ जाती है।
ये रूटीन प्रक्रिया है, टूटते हैं तो लगाने पड़ते हैं। शहर की जिन सड़कों पर फाइबर स्पीड ब्रेकर टूट गए हैं उन्हें बदलवाया जाएगा।
संजय मस्के, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी