Naresh Bhagoria
8 Dec 2025
Aakash Waghmare
7 Dec 2025
अशोक गौतम, भोपाल
नगरीय निकाय अपने आय-व्यय को लेकर बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हैं। इंदौर, उज्जैन, देवास सहित 6 नगर निगम सहित 34 निकायों में आय से ज्यादा खर्च किया गया है। यानी आमदनी अठन्नी और खर्च रुपैया। इस बात का खुलासा स्थानीय निधि संपरीक्षा की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। इन निकायों के वित्तीय लेखा-जोखा का अध्ययन वर्ष 2018 से लेकर वर्ष 2021 तक का किया गया।
ऑडिट के दौरान इंदौर नगर निगम में वर्ष 2019-20 में 25 करोड़ रुपए आय से ज्यादा खर्च होना पाया गया। सतना में वर्ष आय से 46 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च हुए हैं। भोपाल, इंदौर छिंदवाड़ा, देवास सहित 33 निकायों ने वास्तविक बजट से 4 गुना प्रावधानित बजट अनुमान किया। इसके चलते स्वीकृत आय से वास्तविक आय 50 प्रतिशत से कम रही। बजट में भारी भरकम बजट प्रावधान इसलिए किए कि मन मुताबिक खर्च कर सकें।
नगरीय विकास विभाग ने निकायों को अत्मनिर्भर बनाने के लिए वसूली पर वर्ष 2019 से विशेष जोर दिया है। स्थिति यह है कि 7 निकायों में सिर्फ 23% तक ही वसूली हो पाई है। इसके चलते 2,330 करोड़ रुपए निकायों को जलकर, शिक्षा उपकर, विकास उपकर सहित विविध वसूली किया जाना है। इंदौर, देवास, भिंड, विदिशा सहित 16 निकायों में 20% से कम प्रॉपर्टी टैक्स वसूली हुई है। 100 से अधिक नगरीय निकायों में 1,000 करोड़ रुपए अकेले संपत्ति कर का वसूल किया जाना शेष है।
निकायों का अपना मद नहीं होता है। इससे शहर में बिजली, पानी, सड़क, स्ट्रीट लाइट सहित अन्य तरह के विकास कार्य रुक जाते हैं। निकाय को अपने तमाम रुटीन के खर्च के लिए योजनाओं की राशि की तरफ देखना पड़ता है। इसके अलावा निजी संपत्ति बेचना या किराए पर देना पड़ता है। निकायों में 50% से कम वसूली होने पर केंद्र की कई अनुदानों पर कटौती कर दी जाती है। निकायों को विभिन्न कार्यों के लिए बैंकों से लोन भी नहीं मिलता है। कर्मचारियों को वेतन प्रति माह समय पर देने के लाले पड़ जाते हैं।
मप्र नगर निगम नगर पालिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि निकायों में वसूली नहीं हो पा रही है। सहायक राजस्व निरीक्षकों से ऑफिस का काम कराया जा रहा है। देवास, ब्यावरा, सुठालिया, राजगढ़, चंदेरी सहित कई निकायों में दो माह बाद वेतन कर्मचारियों को मिल रहा है। भोपाल, इंदौर में ही कर्मचारियों को 15 से 20 दिन देरी से सैलरी मिल रही है।