Shivani Gupta
6 Nov 2025
धर्म डेस्क। शक्ति उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया है। 22 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। पहले दिन प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना और मां शैलपुत्री की आराधना का विशेष महत्व है।
पंचांग के अनुसार, इस बार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 से 8:06 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:49 से 12:38 बजे तक रहेगा।
1. ब्रह्म मुहूर्त: प्रात:काल 04:35 बजे से 05:22 बजे तक
2. अभिजीत मुहूर्त: 11:36 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक
3. निशिता मुहूर्त: रात 11:50 बजे से 12:38 बजे तक
निशिता मुहूर्त में देवी की पूजा मंत्रों की सिद्ध्यिों के लिए करते हैं।
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 06:09 बजे से 07:40 बजे तक
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 09:11 बजे से 10:43 बजे तक
चर-सामान्य मुहूर्त: दोपहर 01:45 बजे से 03:16 बजे तक
लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 03:16 बजे से शाम 04:47 बजे तक
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: शाम 04:47 बजे से 06:18 बजे तक

मां दुर्गा का पहला स्वरूप शैलपुत्री है। ‘शैल’ का अर्थ पर्वत होता है, और चूंकि वे हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में वे माता सती थीं, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। पिता दक्ष प्रजापति द्वारा शिव का अपमान होने पर उन्होंने आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में वे हिमालय के घर पुत्री रूप में अवतरित हुईं और पुनः कठोर तप करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।
मां शैलपुत्री का वाहन वृषभ (बैल) है। वे दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प धारण करती हैं। सफेद वस्त्रों में सुसज्जित मां का स्वरूप शांति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को स्थिरता, दीर्घायु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना से होती है। इसके लिए सबसे पहले मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं। एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत और सिक्का डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते और ऊपर नारियल रखें। फिर इस कलश को जौ वाले पात्र पर स्थापित करें। कलश पर लाल वस्त्र और कलावा बांधने के बाद अखंड दीप प्रज्वलित करें और मां दुर्गा का आह्वान करें।
घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री में लकड़ी की चौकी, सात प्रकार के अनाज, नारियल, लाल कपड़ा, आम के पत्ते, गंगाजल, पुष्प, सुपारी और श्रृंगार की सामग्री शामिल होती है।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा
मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी वस्तुएं अति प्रिय हैं। भक्त इस दिन उन्हें घी से बना हलवा, मिठाई या सफेद पेड़े का भोग लगाते हैं। पूजा में लाल गुड़हल या सफेद फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
पंचांग के अनुसार, हर बार नवरात्र में देवी अलग-अलग वाहन पर आती हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर पधारी हैं। हाथी समृद्धि, ज्ञान और शुभता का प्रतीक है। इसे बेहद शुभ संकेत माना जा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक, यह समय लोगों के जीवन में खुशहाली, सुख-शांति और धन-वैभव लेकर आएगा।
नवरात्र शक्ति की उपासना का पर्व है। देवी के नौ रूपों की आराधना से अलग-अलग वरदान प्राप्त होते हैं। माना जाता है कि नवरात्र व्रत-पूजन से ग्रहों की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभता आती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य, स्थिरता और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।