Shivani Gupta
7 Nov 2025
रीवा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम में तीन दिवसीय अखिल भारतीय साहित्य परिषद अधिवेशन का उद्घाटन किया। इस महाकुंभ में देशभर से 1200 से अधिक प्रख्यात साहित्यकार, विद्वान और चिंतक भाग ले रहे हैं, जिनमें 20 से अधिक पद्म विभूषण और पद्मश्री सम्मानित विभूतियां शामिल हैं।
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि 'विन्ध्य साहित्य और संगीत साधकों की पवित्र भूमि है। यह बीरबल और तानसेन जैसे महान व्यक्तित्वों की जन्मभूमि है। सफेद बाघ के लिए प्रसिद्ध यह क्षेत्र आज थल सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी जैसे वीरों से देश को गौरवान्वित कर रहा है।' उन्होंने कहा कि 'अधिवेशन का मूल वाक्य आत्मबोध से विश्वबोध अत्यंत सार्थक है। जो स्वयं को जान लेता है, वही विश्व कल्याण कर सकता है। जब आत्मबोध और आत्मशक्ति कमजोर होती है, तब राष्ट्र पराधीन हो जाता है।' कोविंद ने कहा कि 'साहित्य ने सदियों की गुलामी में भी राष्ट्र की चेतना को जीवित रखा और स्वतंत्रता संग्राम से लेकर विकास की चेतना तक, साहित्य सशक्त माध्यम बना।'
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि तीन दिवसीय विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह देश को नई दिशा देगा। उन्होंने बताया कि आज वंदे मातरम् गीत की रचना के 150 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं, जो इस आयोजन को और ऐतिहासिक बनाता है। कार्यक्रम में डॉ. ऋषि कुमार मिश्र, श्रीधर पराड़कर, डॉ. पवनपुत्र बादल शामिल रहे। सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र त्रिवेदी 'मधुपेश' ने की, जबकि उद्घाटनकर्ता मराठी उपन्यासकार विश्वास महीपति पाटिल रहे।
तीन दिनों तक चलने वाले इस साहित्यिक महाकुंभ में विचार-विमर्श, व्याख्यान और सर्वभाषा कवि सम्मेलन का आयोजन होगा। 9 नवंबर को समापन सत्र के साथ अधिवेशन संपन्न होगा। यह रीवा में पहली बार आयोजित इस अधिवेशन को शहर के साहित्यिक इतिहास में यादगार क्षण माना जा रहा है।