महाशक्तियों का महामिलन! SCO में दिखी मोदी-पुतिन-जिनपिंग की केमिस्ट्री, PM ने रूसी राष्ट्रपति को लगाया गले
तियानजिन। चीन के तियानजिन शहर में सोमवार (1 सितंबर) सुबह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले दुनिया की तीन महाशक्तियों के नेता एक साथ नजर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह मुलाकात न केवल SCO के मंच पर बल्कि वैश्विक राजनीति में भी नए संकेत दे रही है। तीनों नेताओं की गर्मजोशी भरी बातचीत और एक साथ खड़े होने की तस्वीरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं को तेज कर दिया है।

SCO समिट को संबोधित करने के लिए जाते हुए मोदी-जिनपिंग-पुतिन।
SCO समिट से पहले साथ दिखे तीनों दिग्गज
सुबह करीब 11 बजे सम्मेलन स्थल पर मोदी, पुतिन और जिनपिंग एक हल्के-फुल्के माहौल में बातचीत करते दिखे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी बीच में खड़े थे और दोनों ओर पुतिन और जिनपिंग मौजूद रहे। तीनों नेताओं की मुस्कुराती और सकारात्मक भाव-भंगिमा ने यह संदेश दिया कि आपसी संवाद और साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
चीन : तियानजिन में SCO के मंच पर एक साथ दिखे PM मोदी-व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग, हाथ पकड़कर दिखाई एकजुटता#PeoplesUpdate #VladimirPutin #SCOSummit2025 #XiJinping @PMOIndia @narendramodi pic.twitter.com/nfrDIdXtku
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मोदी बोले- पुतिन से मिलना हमेशा सुखद अनुभव
प्रधानमंत्री मोदी ने मुलाकात की तस्वीरें अपने एक्स अकाउंट पर साझा करते हुए लिखा, “तियानजिन में बातचीत जारी है! राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।” एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा कि पुतिन से मिलना हमेशा खुशी और आनंददायक अनुभव होता है।
Always a delight to meet President Putin! pic.twitter.com/XtDSyWEmtw
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
जिनपिंग का अमेरिका को संदेश
सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वैश्विक स्तर पर ‘धमकाने वाली नीतियों’ की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि SCO का मकसद सहयोग और विकास है, न कि टकराव। जिनपिंग ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने 2 बिलियन युआन (करीब 281 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की आर्थिक मदद SCO सदस्य देशों को देने की घोषणा की।
भारत-चीन संबंधों पर सकारात्मक संकेत
तियानजिन शिखर सम्मेलन भारत और चीन के बीच हालिया रिश्तों में आई नरमी को भी दिखाता है। सीमा विवाद, व्यापार घाटा और पारस्परिक भरोसे जैसे मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच रविवार को विस्तृत चर्चा हुई।
- सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति बनी।
- सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू करने पर विचार हुआ।
- व्यापार घाटा कम करने और संतुलित नीतियों पर जोर दिया गया।
- मोदी ने शी जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले BRICS सम्मेलन में आमंत्रित भी किया।
भारत का फोकस- आतंकवाद पर सख्त कदम
मोदी ने SCO बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर मुखर होकर बात की। उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद भारत और चीन दोनों के लिए बड़ी चुनौती है और इस पर साझा रुख अपनाना जरूरी है। पाकिस्तान की मौजूदगी में भी भारत ने इस विषय पर समर्थन जुटाने की कोशिश की।
6 वजहें, क्यों खास रही यह SCO समिट
- गलवान के बाद मोदी का पहला चीन दौरा – पांच साल बाद पीएम मोदी चीन पहुंचे।
- अमेरिकी दबाव के खिलाफ साझा मंच – ट्रंप प्रशासन के ऊंचे टैरिफ की पृष्ठभूमि में SCO देशों का एकजुट होना अहम माना गया।
- अमेरिकी नेतृत्व को चुनौती – जिनपिंग ने SCO को ग्लोबल ऑर्डर का विकल्प बताया।
- भारत का एजेंडा आतंकवाद – पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए भारत ने कड़ा संदेश दिया।
- 20 से ज्यादा देशों की मौजूदगी – सम्मेलन की वैश्विक अहमियत बढ़ी।
- भारत-चीन संबंधों में सुधार – कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल और बॉर्डर ट्रेड पर बातचीत।
SCO का बढ़ता प्रभाव
जिनपिंग ने कहा कि SCO सदस्य देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन डॉलर के करीब पहुंच रही है। चीन पहले ही इन देशों में 84 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है। अब योजना है कि एक SCO विकास बैंक बनाया जाए और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक नया केंद्र स्थापित हो।
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