Manisha Dhanwani
31 Aug 2025
जयपुर। राजस्थान में नकली और अमानक दवाओं का एक बड़ा खेल सामने आया है। जो सीधे-सीधे लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है। दवा नियंत्रण विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है कि बाजार में बिक रही हर मर्ज की दवाएं जैसे- एंटीबायोटिक से लेकर दिल की बीमारी (कार्डियक) और डायबिटीज तक सैंपल में फेल मिली हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जब तक इन दवाओं पर रोक लगती तब तक हजारों गोलियां बिक चुकी थीं और लाखों लोग उनका इस्तेमाल कर चुके थे।
बता दें कि, कफ सिरप से बच्चों के मौत का मामले देश के कई राज्यों में दवाओं की जांच तेज हो गई है। राजस्थान में भी दवा नियंत्रण विभाग ने जांच में कई दवाएं ऐसी पाई, जिनमें दवा का जरूरी साल्ट (सक्रिय घटक) पूरी तरह गायब था। पेट दर्द, नाक-कान की दवाओं से लेकर इंजेक्शन और फ्लुइड तक इन्फेक्शन फैलाने वाले मिले हैं। इसका मतलब है कि लोग बीमारी ठीक करने के लिए जो दवा खा रहे थे। जिसका शरीर पर कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि सेहत को और खतरा हो रहा था।
राजस्थान औषधि नियंत्रण विभाग की जांच में सैकड़ों दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। हालांकि, रिपोर्ट आने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर भारी गड़बड़ी सामने आई है। अधिकारियों ने खुद माना है कि दवा नियंत्रण कानून में खामियों का फायदा उठाकर यह जानलेवा कारोबार चल रहा है। नकली दवाओं के सैंपल फेल होने पर कोर्ट केस होना चाहिए था, जो ज्यादातर मामलों में नहीं हुआ। यहां तक कि इन पर राष्ट्रीय स्तर पर पाबंदी लगाने की सिफारिश भी नहीं की गई।
दवा कंपनियों की मनमानी का आलम यह है कि जब तक अमानक होने की रिपोर्ट आई तब तक दवाएं बड़े पैमाने पर बिक चुकी थीं। उदाहरण के तौर पर स्टेरॉयड (बीटामेथॉसॉन) 3 बैच फेल पाए गए, जिसकी रिपोर्ट 5 दिसंबर को आई तब तक 30,000 गोलियां बिक चुकी थीं। वही, एंटीएलर्जिक (लिवोसिट्रोजिन) 4 बैच फेल रिपोर्ट आने तक 35,000 दवाएं बिक गईं।
नकली दवाएं सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बन रही हैं। बल्कि ये दूसरे राज्यों से भी आ रही हैं, जिसका फायदा कंपनियां उठा रही हैं। औषधि नियंत्रक टी शुभमंगलन ने अब गंभीरता दिखाते हुए अगले दो दिनों में राज्य की 65 दवा बनाने वाली कंपनियों में सघन जांच करने की बात कही है।