Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Naresh Bhagoria
23 Nov 2025
Mithilesh Yadav
23 Nov 2025
हर्षित चौरसिया, जबलपुर। संस्कारधानी के तरंग ऑडिटोरियम में 29 और 30 नवंबर को ‘हमारे राम’ महानाट्य का मंचन होना है। अभी तक देश के 20 राज्यों में इस महानाट्य की 352 प्रस्तुति हो चुकी है। इसके अलावा इसका मंचन दुबई में भी हो चुका है। इसमें रावण का पात्र निभाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता आशुतोष राणा ने रविवार को खास बातचीत की। उन्होंने कहा, इस अनूठे कार्य में राम हेतु भी बने और आम जनमानस तक हमारे राम को पहुंचाने के लिए माध्यम सेतू भी बने। उनसे बातचीत के अंश:
सवाल : फिल्म और थियेटर में आपने कई किरदार निभाए, 'हमारे राम' महानाट्य के लिए सिनेमा और नाटक में क्या अंतर पाते हैं?
आशुतोष राणा : सिनेमा और नाटक में मूलभूत अंतर होता है। नाटक में संचार और जुड़ाव एक साथ होता है। जीवन में रस तभी मिलता है, जब संचार के साथ जुड़ाव हो जाए। नाटक विधा में ये चीजें अच्छे से सम्पन्न होती हैं। अभिनेता और दर्शक दोनों एक-दूसरे से कनेक्ट और कम्युनिकेट कर रहे होते हैं। सिनेमा में तत्काल अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे पाते हैं। नाटक में क्रिया की प्रतिक्रिया तत्काल प्राप्त होती है।
सवाल : रावण के चरित्र को निभाते वक्त क्या कठिनाइयां आईं?
आशुतोष राणा : अद्भुत है महाकाव्य में रावण की राममय होने की यात्रा है। लोग जो मित्र भाव से प्राप्त नहीं कर पाते हैं, रावण ने शत्रुभाव से उसे प्राप्त कर लिया। आप जिस भाव से जिसको भजते हैं, उस गति को प्राप्त हो जाते हैं। रावण के दोनों हाथ में लड्डू हैं। एक मित्र भाव में उनके आराध्य भगवान शिव हैं और उनके शत्रु भाव नारायण के अवतार भगवान राम हैं।
सवाल : रावण के पात्र में मानसिक और भावनात्मक रूप से किस प्रकार की तैयारी की?
आशुतोष राणा : ‘हमारे राम’ महानाट्य जनवरी 2024 में शुरू किया। इसके पहले 2020 में मैंने ‘राम राज्य’ पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक के माध्यम से पूरे रामायण का चरित्र समझा। मेरा मानना है कि राम के संपर्क में आप किसी भी भाव से क्यों न आएं, कहीं न कहीं राम आपके जीवन को सरस, सरल और सुचारू कर देते हैं। मंचन के दौरान रावण के पात्र में होते हैं, तब हमारे मस्तिष्क में नारायण घूम रहे होते हैं या भगवान महादेव। जब इनका निरंतर चिंतन चल रहा हो तो आपके द्वारा की जाने वाली चर्या कितनी भी जटिल क्यों न हो सरल हो जाती है।
सवाल : मंचन के दौरान दबाव और रोमांच को लेकर आप क्या कहेंगें?
आशुतोष राणा : पात्र के अनुरूप बोलने का तरीका ही अभिनेता की आवश्यकता है। थियेटर में लाइव होता है। ‘हमारे राम’ जैसे महानाट्य अपने आप में रोमांच करने वाला सूत्र है। दबाव वहां होता है, जहां पर कम्युनिकेट कर पा रहे हैं कनेक्ट नहीं। यहां पर दोनों ही एक साथ होता है।
सवाल : नई पीढ़ी के लिए 'हमारे राम' महानाट्य से क्या संदेश देना चाहेंगे?
आशुतोष राणा : परमात्मा श्रीराम ऊपर से नीचे उतरकर इसलिए आए, ताकि हमें ऊपर उठा सकें। ‘हमारे राम’ महानाट्य की प्रस्तुति का उद्देश्य हमारे जीवन मूल्य, हमारे जीवन दर्शन, सोचने के तरीके से समाज को ऊपर उठाने का है। कथा को देखकर किसी की सोच, कार्य पद्धति का स्तर ऊंचा उठे, समाज को नैतिक और चिंतन के मूल्यों के आधार पर कैसे ऊपर उठा सकें, यही हमारा उद्देश्य है और यही नई पीढ़ी के लिए संदेश है।