पुतिन का अमेरिका को करारा जवाब : भारत और चीन से इस तरह बात नहीं कर सकते ट्रंप, कहा- किसी की धौंस नहीं चलेगी
बीजिंग। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर तीखा प्रहार किया है। चीन के विक्ट्री डे परेड और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए पुतिन ने कहा कि, अमेरिका भारत और चीन पर टैरिफ और प्रतिबंध लगाकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इन देशों से इस भाषा में बात नहीं की जा सकती। पुतिन ने साफ कहा कि, उपनिवेशवाद का दौर खत्म हो चुका है और अब किसी की धौंस नहीं चलेगी।
भारत-चीन को ‘सजा’ देने की नीति गलत : पुतिन
पुतिन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन लगातार एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतों भारत और चीन को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “दुनिया में भारत जैसा 1.5 अरब आबादी वाला देश और चीन जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था मौजूद है। कोई इन्हें सजा देने की बात नहीं कर सकता। यदि इन देशों का नेतृत्व कमजोरी दिखाएगा तो उसका राजनीतिक करियर ही खत्म हो जाएगा।”
ट्रंप का टैरिफ हथियार और पुतिन की आपत्ति
ट्रंप ने हाल ही में एक रेडियो शो में कहा था कि टैरिफ उनकी "जादुई ताकत" है, जिसके जरिए उन्होंने 7 युद्धों को रोका है। उन्होंने भारत पर 50% और चीन पर 30% टैरिफ लगाने का बचाव किया।
इस पर पुतिन ने पलटवार करते हुए कहा कि, यह रवैया रूढ़ीवादी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को समझना होगा कि अब सभी देश बराबरी के अधिकार रखते हैं और किसी पर जबरन दबाव डालने का समय नहीं रहा।
भारत पर अमेरिकी आरोप और जवाब
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से सस्ता तेल खरीदकर खुले बाजार में बेच रहा है और इससे रूस को यूक्रेन युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है। इसी कारण भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ और सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
हालांकि भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि देश अपने नागरिकों और किसानों के हित में ही फैसले लेता है, किसी दबाव में नहीं।
SCO में दिखी भारत-रूस-चीन की नजदीकी
1 सितंबर को चीन के तियानजिन में हुए SCO सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन एक साथ मंच पर नजर आए। फोटो सेशन के दौरान तीनों नेताओं ने हाथ मिलाकर दोस्ती का संदेश दिया।
इसके अलावा पुतिन ने मोदी को अपनी लग्जरी कार AURUS लिमोजिन में बैठाकर होटल तक ले गए। रास्ते में दोनों नेताओं ने करीब एक घंटे तक वन-टू-वन गोपनीय बातचीत की।
अमेरिका की बेचैनी और आलोचना
SCO सम्मेलन के बाद अमेरिका ने भारत की रूस और चीन से नजदीकी पर कड़ी आपत्ति जताई। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने यहां तक कह दिया कि मोदी का पुतिन और जिनपिंग के साथ खड़ा होना "शर्मनाक" है।
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका भारत को अपने खेमे में रखना चाहता है, जबकि भारत रणनीतिक रूप से संतुलन साधने की नीति अपना रहा है।
पुतिन का संदेश- सब बराबर, किसी की धौंस नहीं
पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “बहुपक्षीय दुनिया में सभी के पास समान अधिकार होने चाहिए। न तो ब्रिक्स और न ही SCO में कोई इस बात को स्वीकार करेगा कि किसी एक देश का वैश्विक राजनीति पर दबदबा हो।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि आने वाले समय में सामान्य राजनीतिक संवाद बहाल होना चाहिए और दुनिया को मिलकर आगे बढ़ना होगा।