Naresh Bhagoria
19 Nov 2025
जबलपुर। निचली अदालतों से रिटायर हो चुके जजों को अब हर साल नवम्बर माह में भत्तों के भुगतान के लिए लाइफ सर्टिफिकेट नहीं देना पड़ेगा। राज्य सरकार ने इस बारे में जारी किए गए परिपत्र को वापस ले लिया है। सरकार की ओर से दिए गए जवाब पर गौर करने के बाद चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने लाइफ सर्टिफिकेट की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं का निराकरण कर दिया।
फॉर्मर जजेस वेलफेयर एसोसिएशन इंदौर के महासचिव गुलाब शर्मा और जेपी राव की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया था कि प्रदेश की निचली अदालतों से रिटायर होने वाले जजों को प्रदेश सरकार मेडिकल व घरेलू भत्तों का भुगतान करती है। 13 दिसंबर 2024 को प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने एक आदेश जारी करके यह बाध्यता लगा दी कि इन भत्तों को पाने के लिए निचली अदालतों से रिटायर हो चुके जजों को उसी जिले में जाकर नवम्बर माह में अपना लाइफ सर्टिफिकेट जमा, जहां से वो रिटायर हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि रिटायरमेंट के बाद अधिकांश जज देश के दूसरे प्रदेशों या फिर विदेश में रहने लगे हैं। ऐसे में उन्हें लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने के लिए बाध्य किया जाना अनुचित है। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अनुभव जैन ने बेंच को बताया कि हाल ही में 13 दिसंबर 2024 को जारी परिपत्र को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है। इस बयान के मद्देनजर बेंच ने याचिकाओं का निराकरण कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय राम ताम्रकार, अधिवक्ता अविनाश कुमार और सतीश कुमार श्रीवास्तव ने पक्ष रखा।