Naresh Bhagoria
19 Nov 2025
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकार के उस जवाब पर हैरानी जताई, जिसमें कहा गया था कि इंदौर पुलिस ने नो एन्ट्री में घुसने वालों के खिलाफ 1244 चालान काटे हैं। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने ये आंकड़े बताते हैं कि पुलिस पहले घुसने की इजाजत देती है, फिर चालान काटती है। यही फर्क है मुंबई और इंदौर की पुलिस में। मुंबई में कांस्टेबल चौराहा पर खड़ा होता है, ताकि लोग नियम न तोड़ सकें। वहीं इंदौर में पुलिस वाले पेड़ के पीछे छिपे रहते हैं, ताकि जैसे ही लोग नियम तोड़ें तो उन्हें दौड़कर पकड़ा जा सके। बेंच ने इंदौर पुलिस कमिश्नर से कहा है कि वे उपाय बताएं, ताकि ऐसे मामलों पर रोक लगाई जा सके। मामले पर अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी।
बुधवार को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा 15 सितंबर 2025 को इंदौर के नो एन्ट्री जोन में मौत बनकर घुसे ट्रक से दो लोगों की मौत और कई लोगों के घायल होने के मामले पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान अदालत मित्र के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक सरन के साथ अधिवक्ता अमित खत्री व कुलदीप शुक्ला और राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली हाजिर हुए। वहीं इन्दौर पुलिस कमिश्नर संतोष कुमार सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा।
अदालत मित्र सरन ने बताया कि इंदौर में सिर्फ अक्टूबर माह में 216 हादसे हुए हैं, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि कई मामले ड्रिंक एंड ड्राइव के थे। इस पर बेंच ने कहा कि जहां बार और पब्स के क्लस्टर्स हैं, वहां पर पुलिस को चैक पॉइंट्स होना चाहिए। पुलिस को चाहिए ब्रेथ एनालाइजर्स से लोगों को चेक करें। यदि कोई नशे में पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। पुलिस की ऐसी कार्रवाई से बचने के लिए दिल्ली में लोग घर जाने के लिए कैब्स बुक करते हैं।