Shivani Gupta
20 Oct 2025
बीजिंग। चीन ने बुधवार को द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर मिली जीत की 80वीं वर्षगांठ पर राजधानी बीजिंग के तियानमेन चौक पर अब तक की सबसे बड़ी सैन्य परेड का आयोजन किया। विक्ट्री डे परेड के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भाषण दिया और कहा कि चीन किसी भी धमकी से नहीं डरता और शांति व विकास के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा। जिनपिंग ने लोगों से इतिहास को याद रखने और जापान के खिलाफ लड़ने वाले सैनिकों को सम्मान देने की अपील की।
विक्ट्री डे परेड में चीन ने पहली बार अपने अत्याधुनिक हथियारों और नई सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन किया। परमाणु क्षमता वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों से लेकर हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स और पानी के अंदर चलने वाले ड्रोन तक, चीन ने अपनी सैन्य शक्ति को पूरी दुनिया के सामने दिखाया। परेड में DF-26D “गुआम किलर”, नई DF-5C मिसाइल, DF-61 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, YJ-17 हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल और PHL-16 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर शामिल थे। इसके अलावा, नया टाइप 99B मेन बैटल टैंक और एडवांस हेलिकॉप्टर भी पहली बार प्रदर्शित किए गए।
इस भव्य आयोजन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू समेत 25 देशों के नेता शामिल हुए। हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समारोह में मौजूद नहीं रहे। रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी का परेड से दूर रहना एक कूटनीतिक संदेश है कि जब तक चीन सीमा पर तनाव बनाए रखता है और पाकिस्तान को रणनीतिक समर्थन देता है, तब तक भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में चीन की जीत देश की एकजुटता और कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व से संभव हुई थी। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में चीनी जनता ने भारी बलिदान दिए और मानव सभ्यता को बचाने तथा विश्व शांति की रक्षा में अहम योगदान दिया। जिनपिंग ने जोर देकर कहा कि दुनिया को अब युद्ध और टकराव के बजाय संवाद और शांति का रास्ता चुनना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि चीन हमेशा इतिहास के सही पक्ष में खड़ा रहेगा और सभी देशों के साथ मिलकर साझा भविष्य का निर्माण करेगा।
इस परेड में 10,000 से अधिक सैनिक और सैकड़ों आधुनिक हथियार शामिल थे। बीजिंग के तियानमेन चौक पर लगभग 50,000 लोग इसे देखने पहुंचे। परेड के अंत में शांति का प्रतीक माने जाने वाले 80,000 कबूतर और गुब्बारे छोड़े गए। चीन की यह सैन्य परेड न केवल द्वितीय विश्व युद्ध की ऐतिहासिक जीत की याद दिलाती है, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देती है कि वह आज वैश्विक मंच पर अपनी ताकत और प्रभाव दिखाने के लिए तैयार है।