Aakash Waghmare
22 Nov 2025
टोक्यो/नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जापान दौरे पर शुक्रवार को टोक्यो में आयोजित भारत-जापान शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान वह भारत से जुड़े एक प्राचीन बौद्ध मंदिर भी पहुंचे। मंदिर के मुख्य पुजारी रेवरेंड सेशी हिरोसे ने उन्हें जापान की खास सांस्कृतिक धरोहर ‘दारुमा डॉल’ भेंट की। यह डॉल न सिर्फ जापानी संस्कृति का महत्वपूर्ण प्रतीक है, बल्कि इसका गहरा नाता भारत से भी है।
दारुमा डॉल (Daruma doll) को जापान में सौभाग्य और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता है। इसे जेन बौद्ध धर्म के संस्थापक बोधिधर्म का प्रतीकात्मक रूप समझा जाता है। डॉल का गोल आकार बोधिधर्म की उस साधना से जुड़ा है, जब उन्होंने वर्षों तक लगातार ध्यान लगाया और अपने हाथ-पांव मोड़कर तपस्या की थी। यही वजह है कि यह डॉल कभी भी गिरने पर दोबारा खड़ी हो जाती है। इसे जापान में कहावत के रूप में भी कहा जाता है- “सात बार गिरो, आठ बार उठो”।
इतिहासकार मानते हैं कि बोधिधर्म भारत के तमिलनाडु स्थित कांचीपुरम के निवासी थे। वे भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रचार करने चीन पहुंचे और वहीं से जापान तक बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। जापान में उन्हें दारुमा दाइशी कहा जाता है। माना जाता है कि ध्यान साधना के लंबे समय तक अभ्यास के कारण उनके हाथ-पांव निष्क्रिय हो गए थे। दारुमा डॉल इसी तपस्या और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है।
जापान में दारुमा गुड़िया को घरों, दुकानों और मंदिरों में सौभाग्य के प्रतीक के तौर पर रखा जाता है। इसे खरीदने के बाद कोई व्यक्ति अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए इसकी एक आंख पर रंग भरता है। जब उसकी इच्छा पूरी हो जाती है, तब दूसरी आंख में रंग भर दिया जाता है। यह प्रथा सफलता और संकल्प की पूर्ति का प्रतीक है।
अधिकतर दारुमा डॉल लाल रंग में बनाई जाती है। जापानी परंपरा के अनुसार, बोधिधर्म को अक्सर लाल वस्त्र पहने हुए दर्शाया जाता था। वहीं पूर्वी एशियाई देशों में लाल रंग को सौभाग्य, समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि दारुमा डॉल का पारंपरिक स्वरूप लाल रंग में ही देखने को मिलता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की गई दारुमा डॉल केवल जापानी संस्कृति की धरोहर ही नहीं, बल्कि भारत और जापान के बीच गहरे ऐतिहासिक और धार्मिक संबंधों का प्रतीक भी है। यह डॉल बोधिधर्म की शिक्षाओं, उनकी तपस्या और जीवन-दर्शन की याद दिलाती है, जिसका स्रोत भारत ही है।