काठमांडू। नेपाल इस समय भीषण राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। हिंसा, आगजनी और जेल तोड़ की घटनाओं के बीच अब देश को अंतरिम प्रधानमंत्री मिल गई हैं। नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को जेन-जी आंदोलन से जुड़े युवाओं ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपने का निर्णय लिया है। बुधवार देर रात हुई वर्चुअल मीटिंग में करीब 5000 युवाओं ने हिस्सा लिया और सर्वसम्मति से कार्की का नाम आगे बढ़ाया।
काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि अब देश को अंतरिम सरकार की दिशा में ले जाना होगा, ताकि नए चुनाव कराए जा सकें।
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने ताजा संदेश में बिना नाम लिए भारत पर तख्तापलट का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “राम नेपाल में जन्मे थे और लिपुलेख, कालापानी व लिम्पियाधुरा नेपाल के हिस्से हैं। अगर मैं इन मुद्दों से पीछे हट जाता तो मुझे और मौके मिलते।” हालांकि, ओली ने आंदोलनकारियों से हिंसा और तोड़फोड़ न करने की अपील भी की।
जन्म : 7 जून 1952, सरलाही जिले के शंकरपुर गांव में
शिक्षा : बीएचयू (वाराणसी) से राजनीति शास्त्र में एमए (1975)
करियर : 1979 में वकालत शुरू की
2016-2017 : नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
भारत सरकार लगातार हालात पर नजर बनाए हुए है। एअर इंडिया ने दिल्ली से काठमांडू और वापसी के लिए स्पेशल फ्लाइट शुरू की है ताकि फंसे हुए भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला जा सके। विदेश सचिव ने आश्वासन दिया है कि नेपाल में मौजूद करीब 1,000 भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की जा रही है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि नेपाल के संविधान में अंतरिम सरकार का सीधा उल्लेख नहीं है। लेकिन मौजूदा संकट को देखते हुए छह महीने के भीतर चुनाव कराने के लिए अंतरिम सरकार का गठन व्यावहारिक कदम हो सकता है। सुशीला कार्की के नेतृत्व में अब नेपाल को नया जनादेश दिलाने की तैयारी होगी।
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