Aniruddh Singh
21 Oct 2025
Aniruddh Singh
20 Oct 2025
मुंबई। टाटा ट्रस्ट्स ने सर्वसम्मति से टीवीएस ग्रुप के चेयरमैन एमेरिटस वेणु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी के रूप में फिर से नियुक्त कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब संगठन के भीतर गुटबाजी और मतभेदों की खबरें सामने आ रही हैं। श्रीनिवासन का कार्यकाल 23 अक्टूबर को समाप्त होने वाला था, लेकिन उससे पहले ही उनकी नियुक्ति को पूरे जीवनकाल के लिए बढ़ा दी गई है, जो यह दिखाता है कि ट्रस्ट के भीतर उनकी स्वीकार्यता बनी हुई है। वेणु श्रीनिवासन की नियुक्ति के बाद अब ध्यान मेहली मिस्त्री पर केंद्रित हो गया है, जिनका कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा है।
मेहली की नियुक्ति को लेकर ट्रस्ट में उभरे मतभेदः बता दें मेहली मिस्त्री की फिर नियुक्ति को लेकर ट्रस्ट के भीतर मतभेद दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, श्रीनिवासन की पुनर्नियुक्ति पर सभी ट्रस्टियों ने सहमति जताई, लेकिन मेहली मिस्त्री के मामले में ऐसा नहीं है। ट्रस्ट का एक धड़ा उनकी पुनर्नियुक्ति का विरोध कर रहा है। उल्लेखनीय है कि रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट इन दिनों दो स्पष्ट धड़ों में बंट गया है। एक समूह नोएल टाटा के नेतृत्व में संगठन के वर्तमान स्वरूप का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा समूह भी रतन टाटा की विरासत और उनके करीबी सहयोगियों से जुड़ा है।
नोएल टाटा ने रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभाला है, जिससे संगठन के भीतर शक्ति संतुलन पर नए सवाल उठने लगे हैं। बता दें टाटा ट्रस्ट देश के सबसे प्रभावशाली परोपकारी संगठनों में से एक है, जो सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट जैसे संस्थानों के अंतर्गत कार्य करता है। यह संस्था टाटा संस में लगभग 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है, जो 156 वर्ष पुराने टाटा समूह की मूल होल्डिंग कंपनी है और लगभग 400 कंपनियों का संचालन करती है, जिनमें से 30 शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। इसीलिए टाटा ट्रस्ट में होने वाले हर निर्णय का सीधा प्रभाव टाटा समूह के भविष्य और दिशा पर पड़ता है। ट्रस्ट में किसी भी ट्रस्टी की नियुक्ति या पुनर्नियुक्ति के लिए सर्वसम्मति आवश्यक मानी जाती है।
अक्टूबर 2024 में हुई संयुक्त बैठक की कार्यवाही के अनुसार, यह तय किया गया था कि जब किसी ट्रस्टी का कार्यकाल समाप्त होगा, तो उसकी पुनर्नियुक्ति स्वतः हो जाएगी और उसकी अवधि पर कोई सीमा नहीं होगी। इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि यदि कोई ट्रस्टी इस पर असहमति जताता है, तो उसे टाटा ट्रस्ट में सेवा देने के योग्य नहीं माना जाएगा, क्योंकि यह ट्रस्ट के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का उल्लंघन होगा। दिलचस्प रूप से, उसी बैठक में यह भी तय किया गया था कि यदि कोई ट्रस्टी इस नियम का उल्लंघन करता है, तो इससे पहले लिए गए सभी निर्णयों को पुनः खोलना पड़ेगा- जिसमें नोएल टाटा की टाटा संस के बोर्ड में नियुक्ति भी शामिल है। इसका मतलब है कि अगर किसी सदस्य ने मेहली मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति पर विरोध जताया, तो यह सीधे तौर पर टाटा समूह की शीर्ष नेतृत्व संरचना पर असर डाल सकता है।
इसके अलावा, 17 अक्टूबर 2024 की बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया था कि सभी ट्रस्टियों की नियुक्ति दीर्घकालीन और आजीवन आधार पर होगी, लेकिन 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर उनके ट्रस्टी पद की समीक्षा की जाएगी। इसका उद्देश्य ट्रस्ट में अनुभव और युवा दृष्टिकोण का संतुलन बनाए रखना है। कुल मिलाकर, वेणु श्रीनिवासन की आजीवन पुनर्नियुक्ति से एक ओर स्थिरता का संदेश जाता है, वहीं मेहली मिस्त्री के भविष्य को लेकर जो मतभेद उभर रहे हैं, वे यह दिखाते हैं कि टाटा ट्रस्ट्स के भीतर सत्ता और विचारधारा की एक नई लड़ाई आकार ले रही है। यह संघर्ष केवल दो व्यक्तियों की नियुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह टाटा समूह की अगली पीढ़ी की दिशा तय करने वाले नेतृत्व के स्वरूप को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है।