Manisha Dhanwani
4 Nov 2025
दिल्ली। राज्यसभा सांसद और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें पूरे देश में ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता है। वे 81 वर्ष के थे और पिछले कई दिनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे। न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की डॉक्टरों की विशेष टीम उनका इलाज कर रही थी।
उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था जिससे उनके शरीर के बाएं हिस्से में पैरालिसिस हो गया था। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी, डायबिटीज और हार्ट की समस्याओं से जूझ रहे थे। 2023 से ही वे डायलिसिस पर थे।
शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और आदिवासी चेतना के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने आदिवासियों के हक और अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर दशकों लंबा संघर्ष किया।
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। मात्र 13 साल की उम्र में उनके पिता की हत्या महाजनों ने कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और आदिवासियों को संगठित कर सूदखोरों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
1970 के दशक में उन्होंने ‘धान कटनी आंदोलन’ चलाया। महाजनों के डर से जब उन्हें मारने की कोशिश हुई, तो एक बार वे बाइक समेत उफनती नदी में कूद पड़े और तैरकर बच निकले। आदिवासी समाज ने इसे चमत्कार माना और उन्हें “दिशोम गुरु” कहकर सम्मानित किया। संथाली भाषा में दिशोम गुरु का अर्थ है – देश का गुरु।
1980 में पहली बार दुमका से सांसद बने।
1985 में जामा विधानसभा से विधायक चुने गए।
2004 में यूपीए सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री बने।
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुल मिलाकर सिर्फ 10 महीने 10 दिन ही पद पर रह पाए:
पहली बार: 2 मार्च 2005 से 12 मार्च 2005 (10 दिन)
दूसरी बार: 27 अगस्त 2008 से 18 जनवरी 2009 (लगभग 5 महीने)
तीसरी बार: 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 (लगभग 5 महीने)
2014 में लोकसभा और 2020 से राज्यसभा सांसद रहे।
शिबू सोरेन का राजनीतिक प्रभाव सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके पूरे परिवार ने भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई है:
हेमंत सोरेन – वर्तमान झारखंड के मुख्यमंत्री (पुत्र)
कल्पना सोरेन – विधायक (बहू)
बसंत सोरेन – दुमका से विधायक (छोटे बेटे)
दुर्गा सोरेन – बड़े बेटे का पहले निधन हो चुका है, उनकी पत्नी सीता सोरेन वर्तमान में बीजेपी में हैं।
हालांकि शिबू सोरेन झारखंड राज्य के निर्माण के नायक माने जाते हैं, लेकिन उनका मुख्यमंत्री कार्यकाल राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन के दबावों के चलते कभी लंबा नहीं चल सका। वे हर बार शपथ तो लेते थे, लेकिन बहुमत या चुनावी हार के चलते कुर्सी छोड़नी पड़ी।
शिबू सोरेन के निधन की खबर से झारखंड और देशभर में शोक की लहर है।
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