Aniruddh Singh
26 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पांच सालों से बंद पड़ी सीधी हवाई सेवा, आज से फिर शुरू हो रही है। इसे दो प्रमुख एशियाई देशों के संबंधों में धीरे-धीरे आ रहे सुधार का साफ संकेत माना जा रहा है। तय शेड्यूल के अनुसार आज यानी 26 अक्टूबर की रात 10 बजे कोलकाता से चीन के ग्वांगझोउ के लिए इंडिगो की पहली उड़ान रवाना होगी। इसके बाद 9 नवंबर से शंघाई और नई दिल्ली के बीच सीधी उड़ानें चीन ईस्टर्न एयरलाइंस द्वारा शुरू की जाएंगी, जबकि 10 नवंबर से इंडिगो दिल्ली-ग्वांगझोउ मार्ग पर भी उड़ानें शुरू करेगी। चीन ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने वाला सकारात्मक कदम बताया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा यह कदम दोनों देशों के बीच हाल के दिनों में समझ में ताजा प्रगति को दिखाता है।
उन्होंने कहा चीन भारत के साथ मिलकर दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है, ताकि द्विपक्षीय रिश्ते स्थिर और स्वस्थ गति से आगे बढ़ सकें। वहीं भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पर लिखा, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें अब वास्तविकता बन चुकी हैं। कोलकाता से ग्वांगझोउ के लिए उड़ान आज शुरू हो रही है, जबकि 9 नवंबर से शंघाई-दिल्ली उड़ानें शुरू होंगी। इन उड़ानों का फिर शुरू होना केवल एक यातायात सुविधा का शुरू होना नहीं है। यह उस राजनयिक यात्रा की सुखद परिणति है, जो 2020 के बाद से ठहराव में थी। कोविड-19 महामारी के दौरान दोनों देशों ने सीमाएं बंद कर दी थीं और इसी बीच गलवान घाटी की हिंसक झड़पों ने द्विपक्षीय संबंधों को 1962 के युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया। इसके बाद कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद दोनों देशों ने प्रमुख विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने पर सहमति जताई।
इस कूटनीतिक सुधार का निर्णायक मोड़ तब आया जब पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के दौरान हुई। उसी बैठक में दोनों नेताओं ने संवाद को फिर से बहाल करने का रास्ता खोला, जिसके ठोस परिणामों में से एक उड़ान की शुरुआत भी है। भारत ने आधिकारिक रूप से इस फैसले की घोषणा 2 अक्टूबर को की थी, जिसके बाद दोनों देशों के नागरिक उड्डयन प्राधिकरणों ने मिलकर सारी व्यवस्थाएं पूरी कीं। शुरूआती चरण में ये उड़ानें सप्ताह में तीन बार संचालित होंगी और यात्री मांग बढ़ने पर इनकी संख्या बढ़ाने की योजना है। इससे छात्रों, व्यापारियों और उन परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी जो पिछले कई वर्षों से दूरी के कारण एक-दूसरे से नहीं मिल पाए थे। 2020 से पहले हर साल दस लाख से अधिक यात्री भारत और चीन के बीच सीधे या परोक्ष मार्गों से यात्रा करते थे। मुंबई स्थित एक वरिष्ठ व्यापार विश्लेषक ने कहा, यह एक छोटा कदम है, लेकिन इसका जमीनी संकेत बहुत बड़ा है।