Aniruddh Singh
20 Oct 2025
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19 Oct 2025
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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटके व्यापार मुद्दों पर अब प्रगति के संकेत मिल रहे हैं। दोनों देशों के वार्ताकारों के बीच आयात शुल्क (टैरिफ) और बाजार तक पहुंच से जुड़ी मतभेदों में कमी आई है। हालांकि, भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर जारी विवाद अभी भी इस व्यापार समझौते के रास्ते में एक प्रमुख अड़चन बना हुआ है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच हाल के दिनों में हुई बैठकों में सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। एक भारतीय अधिकारी ने बताया कि अब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से संबंधित कोई बड़ा मतभेद नहीं बचा है। यह संकेत है कि दोनों देश एक संभावित व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं।
पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ रचनात्मक और उपयोगी बातचीत की। इन चर्चाओं में कृषि, औद्योगिक वस्तुओं, और डिजिटल सेवाओं पर टैरिफ और व्यापार पहुंच जैसे विषयों पर ठोस प्रगति दर्ज की गई। फिर भी, अमेरिका की मुख्य चिंता भारत के रूसी तेल आयात को लेकर है। 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद भारत रूस का एक प्रमुख तेल खरीदार बन गया, जो अब देश की कुल तेल आपूर्ति का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है। वाशिंगटन का मानना है कि रूस को मिलने वाले तेल राजस्व से उसकी युद्ध मशीन को वित्तीय सहारा मिलता है, इसलिए वह चाहता है कि भारत धीरे-धीरे रूसी तेल पर निर्भरता घटाए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से बात की है और भारत ने रूसी तेल खरीद को धीरे-धीरे कम करने का भरोसा दिया है। ट्रंप ने चेतावनी दी यदि भारत ने ऐसा नहीं किया तो भारतीय वस्तुओं पर भारी टैरिफ जारी रहेंगे। उन्होंने कहा, मैंने पीएम मोदी से बात की है। उन्होंने कहा भारत रूस से तेल खरीद नहीं करेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस बयान का खंडन किया। मंत्रालय ने दोहराया कि भारत की ऊर्जा नीति केवल उपभोक्ता हितों के आधार पर तय होती है। सूत्रों के अनुसार, भारतीय रिफाइनर भविष्य में अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने और रूसी तेल आयात को धीरे-धीरे घटाने की योजना बना सकते हैं, पर तत्काल कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
वहीं, अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि भारत ने रूसी तेल आयात आधा कर दिया है, पर भारतीय अधिकारियों ने इसे गलत बताया। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर की आपूर्ति के लिए पहले ही आदेश जारी किए जा चुके हैं। कमोडिटी डेटा फर्म केप्लर के अनुसार, भारत के रूसी तेल आयात में इस महीने करीब 20% की वृद्धि होकर यह 1.9 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच सकता है। कुल मिलाकर, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता का माहौल अब पहले से अधिक सहयोगपूर्ण दिखाई दे रहा है। यद्यपि रूसी तेल का मुद्दा अब भी एक संवेदनशील बिंदु है, फिर भी दोनों देश इस बाधा को पार कर एक दीर्घकालिक व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ते दिख रहे हैं।