Aniruddh Singh
4 Nov 2025
Aniruddh Singh
4 Nov 2025
Aniruddh Singh
4 Nov 2025
Aniruddh Singh
4 Nov 2025
Aniruddh Singh
4 Nov 2025
व्यापार जगत। भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने कंप्रीहेंसिव इकनामिक ट्रेड एग्रीमेंट (सेटा) या मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस समझौते से लगभग 23 अरब डॉलर मूल्य के भारतीय निर्यात में से 99% उत्पादों को शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करेगा। इस समझौते से कृषि, समुद्री उत्पाद, चमड़ा, वस्त्र, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, रसायन, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों को विशेष लाभ होगा। इस समझौते से आईटी जैसी सेवाओं और पेशेवरों की आवाजाही को भी बढ़ावा मिलेगा।
यह समझौता भारतीय कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा में छूट प्रदान करता है और नवाचार व प्रमाणीकरण मानकों को समर्थन देता है। कंप्रीहेंसिव इकनामिक ट्रेड एग्रीमेंट (सेटा) के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं। एफटीए के तहत 99% टैरिफ लाइनों पर शुल्क हटा दिया गया है, जिससे लगभग 100% व्यापार मूल्य कवर होता है। इस समझौते के तहत श्रम-प्रधान क्षेत्रों में शुल्क की दर शून्य कर दी गई है। समुद्री उत्पादों पर शुल्क की दर 20% से घटाकर शून्य कर दी गई है। इसी तरह वस्त्रों पर 12% से, रसायनों पर 8% से, बेस मेटल्स पर 10% से घटाकर शुल्क की दर को शून्य कर दिया गया है। प्रोसेस्ड फूड सेक्टर में 99.7% उत्पाद लाइनों पर शुल्क 70% तक से घटाकर शून्य कर दिए गए हैं। इससे भारतीय निर्यात को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
इस समझौते से भारतीय पेशेवरों के लिए यूके में काम करना आसान हो जाएगा। इससे योग प्रशिक्षक, शास्त्रीय संगीतज्ञ और शेफ जैसे कुशल व्यक्ति यूके में आसानी से सेवाएं दे पाएंगे। इस समझौते का विभिन्न सेक्टरों पर किस तरह असर पड़ेगा और इसका भारत को क्या लाभ मिलेगा। आइए इसे सेक्टर के हिसाब से समझने का प्रयास करें।
यह समझौता से भारत के समुद्री उत्पादों पर आयात शुल्क को पूरी तरह खत्म कर देगा। इससे भारतीय निर्यातकों कोमूल्य प्राप्ति में सुधार करने में मदद मिलेगी और इसके लाभ तटीय मछुआरों तक पहुंचेंगे, क्योंकि उन्हें पहले की तुलना में अधिक मूल्य मिल सकेगा। ब्रिटेन के 5.4 अरब अमेरिकी डॉलर के समुद्री आयात बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है। इस समझौते से भारत के लिए निर्यात अवसर निर्मित होंगे।
भारतीय झींगे पर ब्रिटेन के मौजूदा शुल्क 4.2 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत के बीच है। नए समझौते में शुल्क खत्म होने से विशेष रूप से झींगा, टूना, फिश फीड के निर्यात में तीव्र वृद्धि होने की संभावना है। मजबूत मांग के बावजूद, ब्रिटेन के समुद्री आयात में भारत की वर्तमान हिस्सेदारी केवल 2.25 प्रतिशत है, जिसके बढ़ने की काफी गुंजाइश है।
यूके पहले से ही भारत के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार रहा है, जो भारतीय निर्यात का 1.7% कॉफी, 5.6% चाय और 2.9% मसालों का उपभोग करता है। अब इन उत्पादों को शुल्क-मुक्त पहुंच मिलने से इनके निर्यात में तीव्र वृद्धि की संभावना है।
इंस्टेंट कॉफी को शुल्क-मुक्त पहुंच मिलने से भारतीय व्यवसायों को जर्मनी, स्पेन और नीदरलैंड जैसे यूरोपीय आपूर्तिकर्ताओं के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा। यह एफटीए विशेष रूप से भारतीय इंस्टेंट कॉफी जैसे वैल्यू-ऐडेड कॉफी उत्पादों के निर्यात को यूके में बढ़ाने के लिए एक मजबूत अवसर प्रदान करेगा।
वस्त्र और परिधान क्षेत्र को 1,143 उत्पाद श्रेणियों पर शून्य शुल्क वाली बाजार पहुंच मिलेगी, जिसकी कुल 11.7% हिस्सेदारी है। भारत को अब तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे देशों के मुकाबले शुल्क के मामले में नुकसान होता था, क्योंकि उन्हें यूके में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त थी। यह एफटीए ने भारतीय वस्त्रों पर लगने वाले शुल्क समाप्त कर दिया है, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होगी।
यूके का कुल वस्त्र आयात (26.95 अरब डॉलर) भारत के वैश्विक वस्त्र निर्यात (36.71 अरब डॉलर) से कम है, फिर भी भारत फिलहाल यूके को केवल 1.79 अरब डॉलर का निर्यात करता है। तीव्र विकास की संभावना वाले क्षेत्र हैं रेडीमेड गारमेंट्स, होम टेक्सटाइल्स, कालीन और हस्तशिल्प। इन पर से शुल्क खत्म होने से भारत को तत्काल प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा। इससे भारत अगले 1 से 2 वर्षों में यूके बाजार में कम से कम 5% अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल कर सकता है।
कई इंजीनियरिंग उत्पादों को यूके के बाजार में शून्य शुल्क के साथ पहुंच मिलेगी। यूके भारत का छठा सबसे बड़ा इंजीनियरिंग निर्यात बाजार है। वर्ष 2024-25 में इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 11.7% की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत का वैश्विक इंजीनियरिंग निर्यात 77.79 अरब डॉलर है, जबकि यूके ऐसे उत्पादों का 193.52 अरब डॉलर का आयात करता है, परंतु इसमें से केवल 4.28 अरब डॉलर का आयात भारत से होता है, जो इस क्षेत्र में भारी विस्तार की संभावना दर्शाता है।
एफटीए के तहत अब तक लगने वाला 18% शुल्क समाप्त होने से, अगले 5 सालों में यूके को होने वाला इंजीनियरिंग निर्यात लगभग दोगुना होकर 2029-30 तक 7.5 अरब डॉलर के पार पहुंच सकता है। प्रमुख इंजीनियरिंग उत्पादों जैसे इलेक्ट्रिक मशीनरी, ऑटो पार्ट्स, औद्योगिक उपकरण और निर्माण मशीनरी के निर्यात में 12.20% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि की संभावना है।
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को शुल्क-मुक्त पहुंच मिलने से स्मार्टफोन, ऑप्टिकल फाइबर केबल्स और इनवर्टर जैसे उत्पादों का निर्यात तेज़ी से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे यूके बाजार में भारत की पकड़ मजबूत होगी। सॉफ्टवेयर और आईटी-सेवाओं को लेकर यूके की महत्वाकांक्षी प्रतिबद्धताएं भारत के लिए नए बाजार खोलेंगी, रोज़गार सृजन को बढ़ावा देंगी और भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के निर्यात क्षमता में विस्तार होगा। सॉफ्टवेयर निर्यात में 2024-25 के वर्तमान 32 अरब डॉलर से 15-20% की वार्षिक वृद्धि का अनुमान है।
भारत का वैश्विक फार्मा निर्यात 23.31 अरब डॉलर है, जबकि यूके का फार्मा आयात लगभग 30 अरब डॉलर का है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी 1 अरब डॉलर से भी कम है। इस क्षेत्र में भारी वृद्धि की संभावना है। जेनरिक दवाओं को बड़ा लाभ मिलेगा, एफटीए के तहत शून्य शुल्क की व्यवस्था भारतीय जेनरिक दवाओं को यूके बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी। यूके यूरोप में भारत का सबसे बड़ा फार्मा निर्यात गंतव्य है।
सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक इक्विपमेंट, ईसीजी मशीन, एक्स-रे सिस्टम जैसे कई मेडिकल डिवाइसों पर अब कोई शुल्क नहीं लगेगा। इससे भारतीय मेडिकल टेक्नोलॉजी कंपनियों की लागत घटेगी और यूके बाजार में उनके उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
एफटीए के तहत भारत के रसायन निर्यात में 30-40% की वृद्धि की संभावना है, जिससे 2025-26 तक निर्यात 650-750 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर 40.52 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि यूके का आयात 35.11 अरब डॉलर है, फिर भी भारत का हिस्सा केवल 843 मिलियन डॉलर है। एफटीए के बाद इस हिस्सेदारी में वृद्धि होने की संभावना है।
शुल्क-मुक्त पहुंच भारत को यूके के मजबूत प्लास्टिक बाजार में भागीदारी का बड़ा अवसर देगी, जिसमें फिल्म्स, शीट्स, पाइप्स, पैकेजिंग सामग्री, टेबलवेयर और किचनवेयर जैसे उत्पाद शामिल हैं । इनमें भारत की उत्पादन क्षमता सिद्ध है। यह पहुंच भारत को यूके के प्रमुख आपूर्तिकर्ता देशों जैसे जर्मनी, चीन, अमेरिका, नीदरलैंड, बेल्जियम और फ्रांस के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाएगी।
प्लास्टिक निर्यात में अनुमानित वृद्धि 15% है। वर्ष 2030 तक भारत का लक्ष्य 186.97 मिलियन डॉलर तक का निर्यात करना है।
सॉकर बॉल, क्रिकेट गियर, रग्बी बॉल और गैर-इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों का निर्यात बढ़ने की संभावना है। यूके आयात शुल्क हटने से भारतीय खेल सामग्री और खिलौने चीन और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले अधिक मूल्य प्रतिस्पर्धी बनेंगे, क्योंकि इन देशों के यूके के साथ ऐसा कोई एफटीए नहीं है।
भारत का यूके को कुल रत्न और आभूषण निर्यात 941 मिलियन डॉलर का है, जिसमें से 400 मिलियन डॉलर केवल आभूषणों से आता है। यूके सालाना लगभग 3 अरब डॉलर का आभूषण आयात करता है, ऐसे में यह एफटीए भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा बाजार खोलेगा। टैरिफ रियायतों के चलते अगले 2-3 वर्षों में भारत का रत्न और आभूषण निर्यात दोगुना हो सकता है।
चमड़ा और फुटवियर पर शुल्क 16% से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जिससे भारत की शिल्पकला को मजबूती मिलेगी। एफटीए के चलते भारत यूके के चमड़ा बाजार में 1-2 वर्षों में 5% अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल कर सकता है। निर्यात 900 मिलियन डॉलर से अधिक होने की संभावना है।
आगरा, कानपुर, कोल्हापुर और चेन्नई जैसे एमएसएमई हब को शुल्क-मुक्त निर्यात, जीआई सुरक्षा और सरल मानकों का लाभ मिलेगा।