Mithilesh Yadav
7 Oct 2025
Peoples Reporter
7 Oct 2025
शुभ्रांशु सिंह
जब भारत 2047 की ओर देखता है, स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे करते हुए उसका डिजिटल सफर एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। पिछले 25 वर्षों में भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी सेवाओं में मजबूत शक्ति के रूप में उभरा है। कुशल प्रतिभा का विशाल भंडार, व्यापक आईटी सर्विसेज इंडस्ट्री और लगभग हर बड़े वैश्विक बाजार में उपस्थिति, इन सभी ने मिलकर यह स्थिति बनाई है। इसमें भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों और घरेलू प्रौद्योगिकी दिग्गजों दोनों का योगदान रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था लगभग चार ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब है और 7 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रही है। इसका अर्थ है कि हर दशक में सकल घरेलू उत्पाद दोगुना हो सकता है, जिससे प्रति व्यक्ति आय में भी निरंतर वृद्धि होगी। घरेलू डिजिटल आबादी तेजी से बढ़ रही है। पैमाने के दृष्टिकोण से भारत पहले से ही एक डिजिटल शक्ति है।
दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता ऑनलाइन वाणिज्य बाजार 2030 तक 350 से 400 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों, सस्ते डेटा और मोबाइल के व्यापक प्रयोग से प्रेरित, दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सामाजिक माध्यम उपयोगकर्ता आधार, 500 मिलियन से अधिक यूट्यूब, 400 मिलियन से अधिक वॉट्सऐप और 300 मिलियन से अधिक इंस्टाग्राम उपयोगकर्ता और एक अद्वितीय त्वरित भुगतान तंत्र, जो हर महीने 12 अरब से अधिक लेनदेन करता है, जिससे नकद रहित भुगतान आम हो चुका है। और जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाया जा रहा है। यह पैमाना भारत को डिजिटल दुनिया में परीक्षण स्थल और प्रवृत्ति निर्धारक दोनों बनाता है। डिजिटल सार्वजनिक ढांचे में हमारी नेतृत्व क्षमता, आधार, एकीकृत भुगतान इंटरफेस और कोविन ने साबित किया है कि भारत जनसंख्या स्तर पर तकनीक को डिजाइन और लागू कर सकता है, वह भी तेजी और समावेशिता के साथ।
1. सेवा उत्कृष्टता : भारतीय प्रौद्योगिकी और परामर्श कंपनियां विश्व की शीर्ष कंपनियों के लिए अनिवार्य हो चुकी हैं और हमारी लागत मूल्य समीकरण मजबूत है।
2.प्रतिभा की गहराई : दुनिया की सबसे बड़ी कार्यशील आयु वाली आबादी, तकनीकी स्नातकों की निरंतर आपूर्ति भारत को वैश्विक प्रतिभा का केंद्र बनाती है।
3. वैश्विक पहुंच : विदेशों में कार्यरत भारतीय मूल के प्रमुख अधिकारी और उद्यमी, जो विश्व स्तर पर रणनीतियों और उत्पाद विकास को दिशा देते हैं।
गहन प्रौद्योगिकी और उभरते क्षेत्रों, क्वांटम कंप्यूटिंग, फाउंडेशनल एआई मॉडल्स, सेमी कंडक्टर डिजाइन और एनॉलिटिक्स में भारत अभी अग्रणी नहीं है। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का प्रयोग करने, सॉफ़्टवेयर समाधान बनाने और मंचों को बड़े पैमाने पर लागू करने में निपुण हैं, लेकिन मौलिक शोध और स्वदेशी बौद्धिक संपदा के निर्माण में पीछे हैं। अनुसंधान एवं विकास में सकल घरेलू उत्पाद का हिस्सा कम है और निजी क्षेत्र का दीर्घकालिक, उच्च जोखिम वाले नवाचार में निवेश सीमित है, विशेषकर अमेरिका, चीन या इजराइल जैसे देशों की तुलना में। 2047 तक भारत संभवत: सेवाओं और एप्लाइड इनोवेशन में महाशक्ति बना रहेगा। टैलेंट, सॉल्यूशन और प्लेटफॉर्म्स का निर्यात करेगा। नई प्रौद्योगिकियों को बड़े पैमाने पर लागू करेगा, उन्हें विविध बाजारों के अनुरूप ढालेगा और समावेशी शासन में एकीकृत करेगा।
भाषा अनुवाद, वित्तीय प्रौद्योगिकी समावेशन और स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में भारत वैश्विक मानक स्थापित कर सकता है। लेकिन गहन प्रौद्योगिकी की प्रतिस्पर्धा, क्वांटम प्रोसेसर, फाउंडेशनल एआई मॉडल्स, अगली पीढ़ी के सेमी कंडक्टर में हम ‘तेज अनुयायी’ बने रह सकते हैं, जब तक कि नीति, पूंजी और शिक्षा जगत मिलकर स्थिति न बदलें। 2047 में भारत की डिजिटल पहचान संभवत: कॉन्फिडेंट प्रैगमेटिज्म की होगी। एक ऐसा राष्ट्र जो पैमाने, सेवाओं और प्रतिभा से दुनिया को आकार देता है और चुनिंदा उन्नत प्रौद्योगिकियों में रणनीतिक गहराई भी बनाता है। अवसर विशाल है; सवाल यह है कि क्या हम अपनी सिद्ध ताकतों के आराम क्षेत्र से आगे निवेश करने का संकल्प रखते हैं। भारत ने डिजिटल सफर में लगातार मजबूती पाई है। दुनिया की सबसे युवा आबादी के साथ, हमें इस गति का पूरा लाभ उठाना चाहिए। न केवल अपनी सिद्ध ताकतों में, बल्कि नई क्षमताओं में भी निवेश करके, जो आने वाले दशकों में नेतृत्व को परिभाषित करेंगी।
(लेखक बिजनेस लीडर, प्रतिष्ठित मुख्य विपणन अधिकारी (सीएमओ) और स्तंभकार हैं। फोर्ब्स द्वारा वर्ष 2025 के 50 सबसे प्रभावशाली वैश्विक सीएमओ में शामिल, एफी लायंस फाउंडेशन के बोर्ड से जुड़े हैं।)