Aniruddh Singh
21 Oct 2025
नई दिल्ली। भारत और चीन जल्द एक व्यापार पैकेज पर बातचीत शुरू कर सकते हैं, जिसमें महत्वपूर्ण रेयर अर्थ मैग्नेट्स, उर्वरक और दवाइयों की आपूर्ति शामिल होगी। यह कदम दोनों देशों के बीच रिश्तों में नरमी का संकेत माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका के साथ तनाव बढ़ रहा है और भारतीय उद्योग जगत चीन से आवश्यक कच्चे माल के आयात में तेजी लाने की मांग कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह बातचीत अगस्त के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के आसपास शुरू हो सकती है। इन चचार्ओं का मुख्य एजेंडा रेयर अर्थ मैग्नेट्स, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स रहेगा। हालांकि इस मामले में शुरूआती बातचीत शुरू हो गई है, लेकिन चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स और सभी प्रकार के उर्वरकों की आपूर्ति अब तक दोबारा शुरू नहीं हो सकी है। भारत ने पड़ोसी देशों से निवेश के लिए सरकारी मंजूरी को अनिवार्य कर रखा है, जो खासतौर पर चीन को ध्यान में रखकर लागू किया गया था।
पिछले 5 वर्षों में सीमा विवाद और पाकिस्तान को चीन के समर्थन जैसी वजहों से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए बीती 4 अप्रैल को मध्यम और भारी श्रेणी के रेयर अर्थ उत्पादों पर निर्यात नियंत्रण लगाए थे। चीन ने यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लागू करने के जवाब में उठाया गया था। यह संभावित बातचीत इसलिए भी अहम है क्योंकि अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जबकि चीन पर टैरिफ लागू करने को 90 दिन के लिए टाल दिया है। रेयर अर्थ मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों सहित कई उत्पादों के लिए जरूरी हैं। चीन ने अमेरिका, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया को इनकी आपूर्ति फिर से शुरू कर दी है, लेकिन भारत को आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं के लिए निर्यात लाइसेंस अब तक जारी नहीं किए गए हैं। अभी तक इन वस्तुओं के आयात के लिए व्यक्तिगत मंजूरी भी नहीं मिली है, जिससे अब इस मुद्दे पर भारत और चीन के बीच व्यापार पैकेज पर बातचीत शुरू होगी।
पिछले तीन महीनों में चीन ने भारत को यूरिया और कुछ अन्य उर्वरकों की आपूर्ति रोक दी थी। अब उसने केवल यूरिया की आपूर्ति पर प्रतिबंधों में ढील देने की प्रक्रिया शुरू की है। भारतीय सरकारी एजेंसियों की ओर से, जो चीन से यूरिया आयात करती हैं, सीमित मात्रा में यूरिया आयात के लिए टेंडर जारी किए गए हैं। हालांकि अब तक विशेष उर्वरकों (जैसे कैल्शियम नाइट्रेट और मोनो अमोनियम फॉस्फेट) पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस दिशा में भी बातचीत आगे बढ़ सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत इन विशेष उर्वरकों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा चीन से आयात करता है। दूसरी ओर, दवा उद्योग में भी भारत और चीन दोनों व्यापार असंतुलन को लेकर चिंतित हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा तैयार दवाओं पर अगले डेढ़ साल में 250% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव से दोनों देशों के उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने एससीओ सम्मेलन से पहले भारतीय दवा उद्योग के शीर्ष प्रतिनिधियों के साथ बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें चीन के साथ सहयोग और संबंध मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। इन चर्चाओं की विस्तृत रूपरेखा अभी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने की योजना को भी शामिल किया जाएगा। हालांकि, भारतीय दवाओं का निर्यात अब तक अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ के दायरे से बाहर है, लेकिन भविष्य में यह स्थिति बदल सकती है। कुल मिलाकर, प्रस्तावित व्यापार पैकेज भारत और चीन के बीच, आर्थिक संबंधों को फिर गति देने और अमेरिकी दबाव के बीच आपसी निर्भरता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका को निर्यात भारत की जीडीपी में करीब 2.2 फीसदी का योगदान करता है। बढ़े टैरिफ की वजह संकट से निपटने के लिए चीन से नियकता जरूरी हो गई है।