Peoples Reporter
3 Nov 2025
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3 Nov 2025
नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में रविवार की शाम कुछ ऐसा हुआ, जिसे भारतीय क्रिकेट हमेशा याद रखेगा। महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में साउथ अफ्रीका को 52 रनों से हराकर इतिहास रच दिया। यह केवल जीत नहीं थी, बल्कि सालों की मेहनत, जज़्बा और संघर्ष का जश्न था। हर गेंदबाज़ी, हर कैच और हर रन में उनकी मेहनत झलक रही थी।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की इस सफलता के पीछे लंबा संघर्ष और अनगिनत प्रेरक कहानियां हैं। शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा जैसे युवा खिलाड़ी छोटे शहरों और कस्बों से निकलकर राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में कामयाब हुए। उनकी शुरुआत स्कूल के मैदानों से हुई, जहां लड़कियों के खेल को लेकर कभी समर्थन नहीं मिलता था। कठिन परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद, उनका जज़्बा और खेल के प्रति समर्पण उन्हें आगे बढ़ाता रहा। कोचिंग कैंप्स, घरेलू टूर्नामेंट और लगातार मेहनत ने उन्हें फाइनल तक पहुंचाया। यह टीम सिर्फ खेल नहीं खेल रही थी, बल्कि हर भारतीय लड़की को यह संदेश दे रही थी कि मेहनत और जुनून से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
महिला क्रिकेट में संसाधनों और समर्थन की कमी एक बड़ा बाधक रही है। खिलाड़ियों को कभी-कभी निजी जीवन और खेल के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होता है। शेफाली वर्मा की कहानी इसी का जीता-जागता उदाहरण है। छोटे शहर की रहने वाली शेफाली को खेल के प्रति जुनून था, लेकिन उन्हें शुरुआती दिनों में परिवार और समाज से कम समर्थन मिला। लगातार घरेलू मैचों में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी राष्ट्रीय चयन मुश्किल था।
दीप्ति शर्मा और स्मृति मंधाना भी कठिन परिस्थितियों से गुजरीं। चोटें, लंबी ट्रेनिंग सत्र और अंतरराष्ट्रीय मैचों के दबाव ने कई बार उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से चुनौती दी। वर्ल्ड कप से पहले भारत की टीम को कई हार झेलनी पड़ी। साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के खिलाफ फाइनल तक पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं था।
फाइनल में भी शुरुआती ओवर्स में भारतीय गेंदबाजों को संघर्ष करना पड़ा। साउथ अफ्रीकी ओपनिंग जोड़ी ने पहले विकेट के लिए 51 रन जोड़े। इस दबाव को तोड़ने के लिए कप्तान हरमनप्रीत कौर ने शेफाली वर्मा को स्पिन पर लगाया और यह निर्णय खेल का टर्निंग पॉइंट बन गया। अमनजोत कौर का तीसरे प्रयास में लॉरा वोलवार्ट का कैच पकड़ा जाना भी टीम की जीत में निर्णायक रहा। यह सभी क्षण दर्शाते हैं कि चुनौतियां चाहे कितनी भी बड़ी हों, सही रणनीति और हिम्मत से उन्हें पार किया जा सकता है।
फाइनल में भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी भी यादगार रही। टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए शेफाली वर्मा ने 87 रन, दीप्ति शर्मा ने 58 रन और स्मृति मंधाना ने 45 रन की शानदार पारियां खेलीं। टीम ने 50 ओवरों में 7 विकेट पर 298 रन बनाए। रन चेज में साउथ अफ्रीका की कप्तान लॉरा वोलवार्ट ने 101 रन की पारी खेली, लेकिन भारत की गेंदबाज़ी और अमनजोत कौर के कैच ने उनकी टीम को जीत से दूर रखा।
दीप्ति शर्मा ने 5 विकेट और शेफाली ने 2 विकेट चटकाए। टूर्नामेंट में दीप्ति को ‘प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट’ और शेफाली को ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ का पुरस्कार मिला। यह पहली बार था जब भारतीय महिला टीम ने आईसीसी वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। यह जीत न केवल टीम के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण थी।
वर्तमान में भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व स्तर पर एक नई पहचान बना चुकी है। खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि न केवल पुरुष टीम, बल्कि महिला टीम भी क्रिकेट की दुनिया में कोई कम नहीं। फाइनल के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा- यह जीत हमारी मेहनत, हमारी टीम भावना और हर युवा लड़की के जज़्बे की जीत है।

टीम अब आगामी विश्व कप और टेस्ट सीरीज में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है। युवा खिलाड़ी जैसे अमनजोत कौर और दीप्ति शर्मा ने न केवल बल्लेबाज़ी में बल्कि गेंदबाज़ी और फील्डिंग में भी अपने कौशल को साबित किया है। भविष्य में उनका लक्ष्य न केवल खिताब जीतना है, बल्कि महिला क्रिकेट को देश भर में लोकप्रिय बनाना और युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करना भी है।
भारत की बेटियों ने फाइनल में न केवल जीत हासिल की, बल्कि देश के लिए गर्व और प्रेरणा का नया अध्याय लिखा। यह कहानी बताती है कि मेहनत, धैर्य और जज़्बे से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। शेफाली, दीप्ति, अमनजोत और हरमनप्रीत की यह जीत हर भारतीय लड़की को यह संदेश देती है कि सपने बड़े हों, तो उन्हें सच किया जा सकता है।