Aakash Waghmare
7 Nov 2025
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका को हराकर आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 अपने नाम कर लिया। यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि जज्बे, जुनून और त्याग की कहानी रही। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में भारत ने 47 साल का इंतजार खत्म किया। इस ऐतिहासिक जीत में दीप्ति शर्मा, शेफाली वर्मा और अमनजोत कौर की अहम भूमिका रही।
फाइनल मुकाबले में अमनजोत कौर बल्ले या गेंद से कुछ खास नहीं कर पाईं, लेकिन फील्डिंग में उन्होंने ऐसा कमाल दिखाया, जिसने खेल की दिशा ही बदल दी। उन्होंने ताजमिन ब्रिट्स को रनआउट कर भारत को पहली सफलता दिलाई। फिर साउथ अफ्रीकी कप्तान लॉरा वोलवार्ट का बाउंड्री लाइन पर अद्भुत कैच पकड़ा।
वोलवार्ट उस समय शतक लगा चुकी थीं और साउथ अफ्रीका की उम्मीदें उन्हीं पर टिकी थीं। लेकिन अमनजोत के उस कैच ने पूरी कहानी बदल दी। गेंद उनके हाथ से दो बार फिसली, लेकिन तीसरी बार उन्होंने पूरी पकड़ बना ली — और वही पल भारत की जीत का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
मैदान पर अमनजोत की मुस्कान के पीछे एक दर्दनाक सच्चाई छिपी थी। वर्ल्ड कप के दौरान उनकी दादी अस्पताल में भर्ती थीं, जिन्हें हार्ट अटैक आया था। परिवार ने यह खबर उनसे छिपा ली ताकि वह मैच पर ध्यान केंद्रित कर सकें। उनके पिता भूपिंदर सिंह ने बताया कि मेरी मां भगवंती हमेशा अमनजोत का हौसला बढ़ाती थीं। जब उन्हें दिल का दौरा पड़ा, तो हमने अमनजोत को कुछ नहीं बताया। अब उनकी जीत ने हमें राहत दी है।
अमनजोत की दादी उनकी सबसे बड़ी समर्थक रही हैं। बचपन से मोहाली की गलियों में जब अमनजोत लड़कों के साथ क्रिकेट खेलती थीं, तो दादी हर रोज पार्क में बैठकर देखती थीं।
अब जब भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तो अमनजोत ने कहा कि मैं अपनी टीम, कोच और परिवार की शुक्रगुजार हूं, खासकर अपनी दादी की। वो अभी ठीक नहीं हैं, लेकिन घर पर बैठकर मैच देख रही थीं।
अमनजोत कौर का सफर सिर्फ क्रिकेट नहीं, बल्कि हौसले और समर्पण की कहानी है। उन्होंने अपने अंदर के दर्द को पीछे छोड़कर टीम के लिए मैदान पर सबकुछ झोंक दिया। उनका वह कैच सिर्फ एक विकेट नहीं था, बल्कि पूरे भारत के सपनों को साकार करने वाला पल था।