Garima Vishwakarma
24 Dec 2025
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को बहुत पवित्र और फल देने वाला माना गया है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी आती है। हर एकादशी का अपना अलग धार्मिक महत्व होता है।
पौष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को संतान सुख की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत से संतान से जुड़ी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस बार खास बात यह है कि साल 2025 का अंत और नए साल 2026 की शुरुआत इसी शुभ व्रत के साथ हो रही है। ऐसे में इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया है।
दृक पंचांग के अनुसार,
एकादशी तिथि की शुरुआत: 30 दिसंबर सुबह 7:50 बजे
एकादशी तिथि की समाप्ति: 31 दिसंबर सुबह 5:00 बजे
तिथि दो दिनों में पड़ने के कारण लोगों में व्रत को लेकर भ्रम है।
गृहस्थ लोग: 30 दिसंबर को व्रत रखना शुभ माना गया है।
वैष्णव संप्रदाय: 31 दिसंबर को व्रत रखते हैं।
30 दिसंबर को व्रत रखने वाले : पारण 31 दिसंबर को दोपहर 1:05 बजे से 3:12 बजे के बीच करें।
31 दिसंबर को व्रत रखने वाले : पारण 1 जनवरी 2026 को सुबह 6:44 से 8:51 बजे के बीच करें।
ब्रह्म मुहूर्त - 04:56 ए एम से 05:49 ए एम
प्रातः सन्ध्या - 05:23 ए एम से 06:43 ए एम
अभिजित मुहूर्त - 11:39 ए एम से 12:22 पी एम
विजय मुहूर्त - 01:46 पी एम से 02:29 पी एम
गोधूलि मुहूर्त - 05:16 पी एम से 05:43 पी एम
सायाह्न सन्ध्या - 05:18 पी एम से 06:39 पी एम
अमृत काल - 11:35 पी एम से 01:03 ए एम, 31 दिसम्बर
निशिता मुहूर्त - 11:34 पी एम से 12:28 ए एम, 31 दिसम्बर
त्रिपुष्कर योग - 05:00 ए एम, 31 दिसम्बर से 06:43 ए एम, 31 दिसम्बर
सर्वार्थ सिद्धि योग - 03:58 ए एम, 31 दिसम्बर से 06:43 ए एम, 31 दिसम्बर
रवि योग - 06:43 ए एम से 03:58 ए एम, 31 दिसम्बर
नए साल की शुरुआत पौष पुत्रदा एकादशी के साथ होना बेहद शुभ माना जा रहा है। इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जीवन में सुख, शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।