Mithilesh Yadav
20 Nov 2025
आजकल की तेज जिंदगी में कई लोग रात को सोते समय परेशान रहते हैं। बिस्तर पर लेटने के बाद भी नींद नहीं आती और बार-बार करवट बदलते रहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार नींद सिर्फ थकान दूर करने का जरिया नहीं है, बल्कि यह हमारे शरीर, मन और आत्मा को फिर से ऊर्जा देने का तरीका भी है।
जीवा आयुर्वेद के संस्थापक डॉ प्रताप चौहान के अनुसार, सही दिनचर्या और कुछ आसान आयुर्वेदिक आदतें अपनाकर बिना दवा के भी गहरी और अच्छी नींद पाई जा सकती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, दिनभर का तनाव और मोबाइल स्क्रीन में उलझे रहना नींद को प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद में इसे शरीर के वात, पित्त और कफ के असंतुलन से जोड़ा गया है।
अगर रात को घंटों बिस्तर पर लेटे रहने के बाद भी नींद नहीं आती, तो परेशान होने की जरूरत नहीं। आयुर्वेदाचार्य डॉ. प्रताप चौहान के अनुसार कुछ सरल आदतें अपनाकर नींद तुरंत आ सकती है। सोने से पहले मोबाइल और टीवी जैसी स्क्रीन से दूरी बनाना जरूरी है, क्योंकि तेज रोशनी और नोटिफिकेशन दिमाग को सक्रिय रखते हैं और नींद आने में देरी होती है।
डॉ. चौहान कहते हैं कि नींद जीवन के तीन मुख्य स्तंभों में गिनी जाती है। सोने का एक निश्चित समय तय करना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार रात 10 बजे तक सो जाना चाहिए, क्योंकि इसी समय शरीर खुद को नेचुरली रिपेयर करना शुरू करता है। देर रात तक जागने से हार्मोनल असंतुलन और मानसिक थकान बढ़ती है।
जल्दी नींद लाने के लिए गर्म दूध, केला, बादाम और चेरी का रस जैसी चीजें खा सकते हैं। इनमें ट्रिप्टोफैन, मेलाटोनिन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे तत्व होते हैं, जो नींद में मदद करते हैं। सोने से पहले कैफीन या भारी भोजन से बचना चाहिए। हल्का और कम मसाले वाला खाना डाइजेशन को आसान बनाता है और शरीर जल्दी रिलैक्स करता है।
नींद आने में दिक्कत हो तो गुनगुना दूध जिसमें जायफल या अश्वगंधा मिलाई हो, पी सकते हैं। यह दिमाग को शांत करता है और नींद को बढ़ावा देता है। रात को सिर और पैरों की हल्की मालिश, कमरे की मंद रोशनी और सोने से पहले कुछ मिनट ध्यान, धीमी सांस या शांत संगीत भी नींद को गहरा और आरामदायक बनाते हैं।