Aditi Rawat
17 Nov 2025
Aditi Rawat
13 Nov 2025
राजस्थान। आपने जिंदगी में बहुत कुछ देखा होगा, लेकिन क्या कभी किसी को मौत की खुशी मनाते देखा है? या किसी के जन्म को दुख और मातम के साथ स्वीकार करते देखा है? राजस्थान के सातिया (Satiyaa) समुदाय की यही अनोखी सोच हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जीवन और मृत्यु के प्रति उनका नजरिया कितना अलग और गहरा है। इस छोटे से समुदाय में, जब कोई मरता है, तो पूरा गांव जश्न में डूब जाता है- ढोल-नगाड़े बजते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं, और नाच-गाना होता है। वहीं, जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो गांव में सन्नाटा छा जाता है। सुनने में यह परंपरा जितनी हैरान कर देने वाली है, उतनी ही इसके पीछे एक गहरी और सार्थक मान्यता छिपी है।
राजस्थान में रहने वाले जिप्सी समुदाय की जीवनशैली और रीति-रिवाज बहुत अनोखे हैं। यह समुदाय लगभग 24 परिवारों में बसा है और आमतौर पर तटों और खाली स्थानों पर आश्रयों में रहता है। अधिकांश लोग अशिक्षित हैं, लेकिन उनकी सांस्कृतिक प्रथाएँ बहुत अलग हैं। सबसे अनोखी प्रथा है मृत्यु पर खुशी और जन्म पर दुख मनाना। जब कोई व्यक्ति मरता है, तो लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई बाँटते हैं और शराब का सेवन करते हैं। वहीं, बच्चे के जन्म पर वे उदासी व्यक्त करते हैं। यह परंपरा उनकी जीवन और मृत्यु के प्रति अलग दृष्टिकोण को दर्शाती है। उनके अनुसार, जब कोई मर जाता है, तो उसकी आत्मा इस दुनिया के बंधनों से आज़ाद हो जाती है। इसीलिए, मृत्यु के समय वे इसे उत्सव जैसा अनुभव करते हैं।
मृत्यु के दिन लोग साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं, मिठाइयां और सूखे मेवे लाते हैं, लोकल शराब का प्रबंध करते हैं और तब तक नाचते-गाते हैं जब तक चिता की राख ठंडी न हो जाए। ढोल-नगाड़ों की थाप के बीच, वे मृतक की आत्मा की ‘यात्रा’ का जश्न मनाते हैं। उत्सव के अंत में परिवार और गांव वाले एक भोज भी आयोजित करते हैं।
सातिया समुदाय के अनुसार, जीवन एक ‘गुनाहों भरी सजा’ है। इसलिए जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो इसे आत्मा पर दुखों का बोझ समझा जाता है। नवजात के आगमन पर वे शोक मनाते हैं और मानते हैं कि आत्मा फिर से दुनिया के बंधनों में लौट आई है।
इस दिन बच्चे के परिवार में सामान्य खाना नहीं पकाया जाता, और कई बार नवजात को ‘शापित’ भी माना जाता है। इंस्टाग्राम पर इस परंपरा का वीडियो wahbharatmedia अकाउंट से साझा किया गया है।
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सातिया जनजाति की यह परंपरा सिर्फ अनोखी नहीं, बल्कि सोच और विश्वास की गहराई भी दिखाती है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं-कहीं मृत्यु में मुक्ति और जन्म में पीड़ा को ही स्वीकार किया जाता है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यह समुदाय ज्यादा शिक्षित नहीं है और शराब की लत के शिकार हैं, लेकिन उनके इस दृष्टिकोण में हमारे जीवन-मृत्यु के सामान्य समझ के लिए एक चेतावनी भी छिपी हुई है। जीवन हमेशा ‘खुशी’ और मृत्यु हमेशा ‘दुःख’ नहीं होती।