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Aditi Rawat
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Garima Vishwakarma
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रोजमर्रा की बातचीत में जब हम अपनी किसी उपलब्धि, खुशी या अच्छी किस्मत का जिक्र करते हैं, तो अक्सर एक बात अपने आप मुंह से निकलती है और वो है Touch Wood। कई लोग लकड़ी की किसी चीज को हल्के से छूकर यह कहते हैं, ताकि उनकी बात पर बुरी नजर न लगे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि यह आदत आखिर आई कहां से? यह सिर्फ एक मुहावरा नहीं, बल्कि सदियों से चलती आ रही मान्यता का हिस्सा है।
इतिहासकारों के अनुसार ‘Touch Wood’ का विचार अत्यंत पुरानी पगान सभ्यताओं से निकला, खासकर सेल्टिक समुदाय का विश्वास था कि पेड़ों में देवी-देवता, आत्माएं और रक्षक शक्तियां निवास करती हैं। उनके लिए पेड़ सिर्फ वनस्पति नहीं थे बल्कि जीवित, जागृत और पवित्र अस्तित्व थे।
इतना ही नहीं जब कोई व्यक्ति पेड़ को छूता था, तो वह मानता था कि वह दैवीय ऊर्जा से जुड़ रहा है। यह एक तरह की प्रार्थना, सुरक्षा की मांग या आभार का संकेत माना जाता था। उस समय माना जाता था कि पेड़ इंसान की किस्मत को नकारात्मक शक्तियों से बचा सकता है।
इतिहास में लकड़ी हमेशा इंसानी जीवन का जरूरी हिस्सा रही है घर, औजार, हथियार, फर्नीचर, सब कुछ लकड़ी का ही बना होता था। इसलिए लकड़ी को जीवन, स्थिरता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता था। लोग मानते थे कि लकड़ी को छूने से उसमें मौजूद शुभ शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं और किसी भी अनचाही नजर या नकारात्मकता को दूर रखती हैं।
हालांकि दुनिया बदल गई है, लेकिन यह आदत आज भी हमारे रीति-रिवाजों में शामिल है। जब कोई सफलता मिलती है, कोई अच्छा काम हो रहा होता है या कोई ऐसी बात कहनी हो जिस पर नजर लग सकती हो तो तुरंत हम लकड़ी को छूकर कहते हैं Touch Wood।